जैसी की आशंका थी, अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान का वर्चस्व बढ़ता जा रहा है लेकिन दुनिया के शक्तिशाली देश हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। वे अपने-अपने देश और संयुक्त राष्ट्र संघ में बैठकर जमकर जबानी जमा-खर्च कर रहे हैं। मैं पिछले कई हफ्तों से लिख रहा हूँ कि सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता संभालते ही भारत को अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र संघ की शांति-सेना भिजवाने का प्रयत्न करना चाहिए।
अफ़ग़ानिस्तान: भारत के हाथ से फिसल रहा शांति बहाल करने का मौक़ा
- विचार
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- 9 Aug, 2021

यदि शांति-सेना का प्रस्ताव पारित हो जाता तो वह किसी के भी विरुद्ध नहीं होता। अफ़ग़ानिस्तान का खून-खराबा रुक जाता और साल भर बाद चुनाव हो जाता लेकिन अभी तो एक के बाद एक प्रांतों की राजधानियों पर तालिबान का कब्जा बढ़ता जा रहा है।
यह संतोष का विषय है कि भारतीय प्रतिनिधि ने पहले ही दिन अफ़ग़ानिस्तान को सुरक्षा परिषद में चर्चा का विषय बना दिया लेकिन हुआ क्या? कुछ भी नहीं। इस अंतरराष्ट्रीय संगठन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।