अन्तरराष्ट्रीय राजनीति का खेल कितना मजेदार है, इसका पता हमें चीन और अमेरिका के ताज़ा रवैयों से पता चल रहा है। चीन हमसे कह रहा है कि हम अमेरिका से सावधान रहें और अमेरिका हमसे कह रहा है कि हम चीन पर जरा भी भरोसा न करें। लेकिन मेरा सोच है कि भारत को चाहिए कि वह चीन और अमेरिका, दोनों से सावधान रहे। आँख मींचकर किसी पर भी भरोसा न करे। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अख़बार ‘ग्लोबल हेरल्ड’ ने भारत सरकार को अमेरिकी दादागीरी के ख़िलाफ़ चेताया है। उसने कहा है कि अमेरिकी सातवें बेड़े का जो जंगी जहाज 7 अप्रैल को भारत के ‘अनन्य आर्थिक क्षेत्र’ में घुस आया है, यह अमेरिका की सरासर दादागीरी का प्रमाण है। जो काम पहले उसने दक्षिण चीनी समुद्र में किया, वह अब हिंद महासागर में भी कर रहा है। उसने अपनी दादागीरी के नशे में अपने दोस्त भारत को भी नहीं बख्शा।
विदेश नीतिः भारत चीन से सावधान रहे या अमेरिका से?
- विचार
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- 15 Apr, 2021

चीन की शिकायत यह है कि भारत ने अमेरिका के प्रति नरमी क्यों दिखाई? उसने इस अमेरिकी मर्यादा-भंग का डटकर विरोध क्यों नहीं किया? उधर अमेरिकी सरकार के गुप्तचर विभाग ने अपनी ताज़ा रपट में भारत के लिए चीन और पाकिस्तान को बड़ा ख़तरा बताया है। भारत आख़िरकार चीन से सावधान रहे या अमेरिका से?