अगर चुनाव अंकों का खेल है, तो इस खेल में सीटों का इजाफ़ा करना ही सभी दलों का एकमात्र मक़सद है। जहाँ तक पश्चिम बंगाल में आगामी 11 अप्रैल, 2019 को होने वाले प्रथम चरण के लोकसभा चुनाव का सवाल है, तो सभी दल ताल ठोक कर चुनावी समर में उतर गए हैं। प्रथम चरण में बंगाल में कूचबिहार और अलीपुर दुआर लोकसभा सीटों के लिए मतदान होना है। ये दोनों ही सीटें आरक्षित हैं।
कूचबिहार अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है तो अलीपुर दुआर आदिवासी जनजाति के लिए। क़ायदे से देखें, तो दोनों ही जगहों पर असली और काँटे का मुक़ाबला सत्तारूढ़ तृणमूल और बीजेपी के बीच है। वाममोर्चा, कांग्रेस और कुछ निर्दलीय भी मैदान में हैं, लेकिन उनकी जान जोख़िम में है।
कूचबिहार लोकसभा सीट में मतदाताओं की संख्या लगभग 18 लाख है और यह ज़िला रजवाड़ों का रहा है। पर्यटन के लिए भी कूचबिहार जाना जाता है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में कूचबिहार से तृणमूल के पार्थ प्रतीम राय जीते थे, पर इस बार तृणमूल ने परेशचंद्र अधिकारी को टिकट दिया है।
दसवीं पास और क़रीब दो करोड़ की संपत्ति वाले 53 वर्षीय परेशचंद्र अधिकारी पहले फ़ॉरवर्ड ब्लॉक में थे और सर्वहारा के सिद्धांत को धता बताकर तृणमूल में आ गए।
इस बार यहाँ बीजेपी प्रत्याशी निशीथ प्रमाणिक, फ़ॉरवर्ड ब्लॉक के गोविंद राय और कांग्रेस की पिया राय चौधरी समेत यहाँ कुल 11 उम्मीदवार हैं और सभी ‘उम्मीद की नाव’ पर सवार हैं। कूचबिहार में सभी दल एक-दूसरे की बख़िया उधेड़ने में जी-जान से जुटे हैं।
अलीपुर दुआर में तृणमूल से दशरथ तिरके उम्मीदवार हैं। तिरके के पास लगभग 35 लाख की संपत्ति है और वे बी. कॉम पास हैं। 52 वर्षीय तिरके का कोई आपराधिक रिकॉर्ड भी नहीं मिला है। दशरथ तिरके पहले रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) में थे और क्रांति करते-करते वर्ष 2014 में तृणमूल में आ गए। दशरथ तिरके 2001, 2006 और 2011 में कुमारग्राम विधानसभा सीट से तीन दफ़ा आरएससपी के विधायक भी रहे। वर्ष 2014 से तिरके तृणमूल के सांसद हैं। इस बार भी कोई अनहोनी नहीं हुई, तो दशरथ तिरके की नैया साहिल के क़रीब है।
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