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प्रशांत किशोर तृणमूल के लिए वरदान साबित होंगे या अभिशाप!

पीके की सलाह पर ममता बनर्जी ने बीते साल जुलाई में सांगठनिक फेरबदल शुरू किया था। इसमें राज्य समिति के अलावा जिला और ब्लाक समितियों में भी बड़े पैमाने पर फेरबदल किया गया था। इससे नेताओं में नाराजगी बढ़ गई।
प्रभाकर मणि तिवारी

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर यानी पीके की क़ाबिलियत किसी से छिपी नहीं है। वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कामयाबी दिलाने के बाद वे विभिन्न राज्यों में अलग-अलग दलों के साथ काम कर चुके हैं। लेकिन तृणमूल कांग्रेस के लिए काम कर रहे पीके पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 में हैट्रिक बनाने का सपना देख रही ममता की पार्टी के लिए वरदान साबित होंगे या अभिशाप?

यहाँ उनके कामकाज से तृणमूल कांग्रेस में उभरने वाले कथित असंतोष व नाराज़गी और इस वजह से पार्टी में बढ़ते पलायन को देखते हुए राजनीतिक हलकों में यह सवाल पूछा जाने लगा है। यह सवाल तब और अहम हो गया है जब पार्टी के वरिष्ठ नेता दिनेश त्रिवेदी ने राज्यसभा से इस्तीफ़ा दे दिया और कहा कि ममता ने पार्टी को एक कंसल्टैंट को सौंप दिया है। 

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टीएमसी को लगे झटके

पीके के नाम से मशहूर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के कामकाज के तरीके से तृणमूल कांग्रेस में नाराज़गी लगातार बढ़ रही है। तृणमूल ने बीते लोकसभा चुनावों में बीजेपी के हाथों लगे झटकों के बाद पीके को अपना सलाहकार नियुक्त किया था।

लेकिन उनके ख़िलाफ़ नाराज़गी जताते हुए पार्टी के कम से कम एक दर्जन विधायक और मंत्री पार्टी से नाता तोड़ कर बीजेपी का दामन थाम चुके हैं। ऐसे में यहाँ राजनीतिक हलकों में मजाक के तौर पर ही सही, यह पूछा जाने लगा है कि पीके तृणमूल के लिए काम कर रहे हैं या बीजेपी के लिए?

कई विधायकों ने हाल में उनके ख़िलाफ़ सार्वजनिक तौर पर टिप्पणी की है। पूर्व मेदिनीपुर के ताक़तवर नेता और राज्य के परिवहन मंत्री शुभेंदु अधिकारी लंबे समय से बग़ावत की राह पर चल रहे थे। लेकिन पीके अपनी तमाम कोशिशों के बावजूद उनको मनाने में नाकाम रहे। आखिर उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया।

west bengal assembly election 2021 : will prashant kishore help TMC - Satya Hindi
बीजेपी नेता अमित शाह ने चुनाव जीतने का दावा किया है।

बीजेपी को 200 सीटें!

अपने ऊपर लगे तमाम आरोपों के बावजूद पीके और उनकी टीम चुपचाप अपना काम कर रही है। अमित शाह समेत बीजेपी के दूसरे नेताओं के 200 से ज्यादा सीटें जीतने के दावे के बाद प्रशांत किशोर ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा था कि अगर वह (बीजेपी) दहाई का आँकड़ा पार करने में कामयाब रही तो वह अपना काम छोड़ देंगे।

प्रशांत किशोर की फर्म आई-पैक के हज़ारों कार्यकर्ता पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 में तृणमूल की जीत की रणनीति पर काम कर रहे हैं।

प्रशांत किशोर की सलाह पर ममता बनर्जी ने जो फ़ैसले किए हैं, वह पार्टी के कई नेताओं को काफी नागवार गुजरे हैं। खासकर संगठनात्मक फेरबदल से कई पुराने नेता काफी नाराज़ चल रहे हैं।

पीके के कारण पार्टी छोड़ी?

उत्तर बंगाल में जलपाईगुड़ी ज़िले के मैनागुड़ी से तीन बार विधायक रहे अनंत देब अधिकारी ने हाल में पत्रकारों से कहा था कि पीके की टीम की नियुक्ति के बाद पार्टी (तृणमूल) की सांगठनिक ताक़त पर प्रतिकूल असर पड़ा है। उनकी टीम ने संगठन में गुटबाजी को बढ़ावा दिया है। अधिकारी ने इस मुद्दे पर ममता बनर्जी को एक पत्र भी लिखा था।

कभी ममता का दाहिना हाथ रहे शुभेंदु अधिकारी भी पीके के कामकाज पर सार्वजनिक तौर पर नाराज़गी जताते रहे थे। उनका कहना था कि पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की जगह पीके और उनकी टीम ही ज़िले के तमाम नेताओँ को निर्देश दे रही है कि क्या करना है और कैसे करना है।

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शुभेंदु अधिकारी तृणमूल छोड़ बीजेपी चले गए।

टीएमसी पर गंभीर आरोप

कूचबिहार के तृणमूल कांग्रेस विधायक रहे मिहिर गोस्वामी भी सार्वजनिक तौर पर अपनी नाराज़गी का इज़हार करते रहे थे। गोस्वामी ने सोशल मीडिया पर अपने एक पोस्ट में सवाल उठाया था कि क्या तृणमूल कांग्रेस सचमुच ममता बनर्जी की पार्टी है। ऐसा लग रहा है कि इस पार्टी को किसी ठेकेदार के हाथ में सौंप दिया गया है।

बीते नवंबर में बीजेपी में शामिल होने वाले कूचबिहार के पूर्व विधायक मिहिर गोस्वामी कहते हैं,

“अब पार्टी पर ममता का कोई नियंत्रण नहीं है। तृणमूल कांग्रेस बदल गई है। आप या तो जी-हुज़ूरी करिये या फिर पार्टी छोड़ दीजिए। अगर कोई ठेकेदार पार्टी को नियंत्रित करेगा तो संगठन का फेल होना तय है।"


मिहिर गोस्वामी, पूर्व विधायक, तृणमूल कांग्रेस

10 दिन बंद रहा आई-पैक

इससे पहले बीते नवंबर में हुगली ज़िले के तृणमूल कांग्रेस नेताओं ने भी पार्टी नेतृत्व से आई-पैक टीम की शिकायत की थी। उसके बाद ज़िले में आई-पैक का काम लगभग 10 दिनों तक बंद कर दिया गया था।

दूसरी ओर, पीके की फर्म आई-पैक के एक कर्मचारी नाम नहीं छापने की शर्त पर कहते हैं,

“कई नेता सहयोग नहीं दे रहे हैं। कुछ लोग तो पार्टी कार्यकर्ताओं को किसी तरह का सहयोग करने से मना कर रहे हैं। कई विधायक हमारी ओर से बुलाई गई बैठकों में नहीं आते हैं, और हमारा फ़ोन भी नहीं उठाते। ऐसा कई इलाक़ों में हो रहा है।”


आई-पैक के एक कर्मचारी

नाराज़गी की वजह?

लेकिन अचानक पीके के ख़िलाफ़ पार्टी के नेताओं में बढ़ती नाराज़गी की वजह क्या है? दरअसल, पीके की सलाह पर ममता बनर्जी ने बीते साल जुलाई में सांगठनिक फेरबदल शुरू किया था। इसमें राज्य समिति के अलावा जिला और ब्लाक समितियों में भी बड़े पैमाने पर फेरबदल किया गया था। इससे नेताओं में नाराजगी बढ़ गई।

तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता नाम नहीं छापने की शर्त पर कहते हैं, “टीम पीके ने तमाम ज़िलों के दौरे के बाद जो रिपोर्ट तैयार की थी उसी के आधार पर सांगठनिक बदलाव किए गए हैं। पीके की टीम ने असंतुष्ट नेताओं की भी एक सूची बनाई थी। इस फेरबदल का मकसद साफ-सुथरी छवि वाले नेताओं को सामने की कतार में लाना था।”

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जनसभा को संबोधित करती मुख्यमंत्री ममता बनर्जी।

परेशान हैं टीएमसी नेता

उत्तर 24-परगना ज़िले में तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं, “आई-पैक ने पार्टी के कुछ नेताओं के चेहरे से मुखौटा उतार दिया है। यही वजह है कि ऐसे लोग पीके और उनकी टीम के खिलाफ लगातार शिकायतें कर रहे हैं। लेकिन अगर कुछ शिकायतें सही हैं तो उनकी जाँच की जाएगी।”

टीम पीके के एक सदस्य नाम नहीं छापने की शर्त पर कहते हैं, “हम पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी और वरिष्ठ नेताओं की सलाह के आधार पर ही रणनीति तय कर रहे हैं। हमारा काम सुझाव देना है। उसे लागू करने या नहीं करना तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व पर निर्भर है। इसलिए पार्टी में नाराज़गी के मुद्दे पर हमारे लिए कोई टिप्पणी करना संभव नहीं है।” 

आई-पैक के एक अन्य कर्मचारी कहते हैं कि तृणमूल कांग्रेस नेताओं का अब पहले की तरह पार्टी पर नियंत्रण नहीं है। इसी वजह से ऐसी घटनाएँ हो रही हैं। कुछ नेता इस बार अपना पत्ता कटना तय मान कर बीजेपी में जा रहे हैं।

पीके के साथ है टीएमसी नेतृत्व

पार्टी के प्रवक्ता सांसद सौगत राय पीके और उनकी टीम का बचाव करते हैं। वह कहते हैं, “पीके और उनकी टीम चुनावी रणनीतिकार के तौर पर हमें पेशेवर सलाह दे रही हैं। पार्टी के कामकाज में उनका कोई दखल नहीं है।”

तमाम शिकायतों और पार्टी में लगातार होते पलायन के बावजूद ममता बनर्जी समेत तृणमूल कांग्रेस के शीर्ष नेताओं को पीके की टीम पर पूरा भरोसा है। हाल के महीनों में राज्य सरकार ने उनकी सलाह पर ही तमाम योजनाएँ शुरू की हैं

 

 

 

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