चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर यानी पीके की क़ाबिलियत किसी से छिपी नहीं है। वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कामयाबी दिलाने के बाद वे विभिन्न राज्यों में अलग-अलग दलों के साथ काम कर चुके हैं। लेकिन तृणमूल कांग्रेस के लिए काम कर रहे पीके पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 में हैट्रिक बनाने का सपना देख रही ममता की पार्टी के लिए वरदान साबित होंगे या अभिशाप?
प्रशांत किशोर तृणमूल के लिए वरदान साबित होंगे या अभिशाप!
- पश्चिम बंगाल
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- 13 Feb, 2021

पीके की सलाह पर ममता बनर्जी ने बीते साल जुलाई में सांगठनिक फेरबदल शुरू किया था। इसमें राज्य समिति के अलावा जिला और ब्लाक समितियों में भी बड़े पैमाने पर फेरबदल किया गया था। इससे नेताओं में नाराजगी बढ़ गई।
यहाँ उनके कामकाज से तृणमूल कांग्रेस में उभरने वाले कथित असंतोष व नाराज़गी और इस वजह से पार्टी में बढ़ते पलायन को देखते हुए राजनीतिक हलकों में यह सवाल पूछा जाने लगा है। यह सवाल तब और अहम हो गया है जब पार्टी के वरिष्ठ नेता दिनेश त्रिवेदी ने राज्यसभा से इस्तीफ़ा दे दिया और कहा कि ममता ने पार्टी को एक कंसल्टैंट को सौंप दिया है।