loader

बंगाल में लेफ्ट-कांग्रेस गठबंधन ममता या बीजेपी की जड़ काटेगा!

पश्चिम बंगाल के चुनावों में क्या गुल खिलाएगा लेफ्ट, कांग्रेस और बाक़ी दलों का गठबंधन? क्या यह लड़ाई को तिकोना बनाने में कामयाब होगा? वर्ष 2011 के बाद लेफ्ट और कांग्रेस की राजनीतिक ज़मीन लगातार खिसकती रही है। लेकिन अबकी यह गठबंधन टीएमसी और बीजेपी का विकल्प बनने का दावा कर रहा है। वैसे, इससे पहले भी ये दोनों पार्टियाँ हाथ मिला चुकी हैं। लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा था। 

बीते विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को 44 सीटों से ही संतोष करना पड़ा था जबकि क़रीब साढ़े तीन दशक तक राज करने वाले लेफ्ट को महज 33 सीटें ही मिली थीं। इस बार 28 फ़रवरी को कोलकाता के ब्रिगेड परेड मैदान में रैली के ज़रिए अपना अभियान शुरू करने वाले इस गठबंधन को उम्मीद है कि बीजेपी और टीएमसी से आजिज आ चुके लोग विकल्प के तौर पर अबकी उसे ही चुनेंगे।

ताज़ा ख़बरें
फ़िलहाल लेफ्ट और कांग्रेस में 230 सीटों पर तालमेल हो चुका है। इसमें कांग्रेस के हिस्से 92 सीटें आई हैं। हालाँकि वह क़रीब 108 सीटों पर लड़ना चाहती है। दोनों पार्टियाँ इस गठबंधन का विस्तार करने में जुटी हैं। इसी वजह से सहयोगी दलों के लिए 64 सीटें छोड़ी गई हैं। इनमें फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बासी की पार्टी इंडियन सेक्यूलर फ्रंट (आईएसएफ़) के अलावा एनसीपी और राजद जैसे दलों को शामिल करने के प्रयास किए जा रहे हैं। असदुद्दीन ओवैसी ने बीते महीने फुरफुरा शरीफ पहुँच कर पीरजादा अब्बासी के साथ मुलाक़ात की थी और उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात कही थी। उसके बाद अब्बासी ने हाल में अपनी नई पार्टी का गठन किया है और वह कम से कम पचास सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का दावा कर रहे हैं।
मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में यह गठबंधन सत्ता के दोनों प्रमुख दावेदारों यानी टीएमसी और बीजेपी के लिए ख़तरा बन सकता है।
दरअसल, बीते लोकसभा चुनावों में लेफ्ट और काफ़ी हद तक कांग्रेस के वोट बैंक पर बीजेपी ने कब्जा कर लिया था। ऐसे में अगर अबकी यह गठबंधन बेहतर प्रदर्शन करते हुए अपनी खोई ज़मीन वापस हासिल करता है तो उसका खामियाजा बीजेपी को ही भुगतना होगा।
दूसरी ओर, अब्बासी के गठबंधन में शामिल होने की वजह से टीएमसी के अल्पसंख्यक वोट बैंक में भी सेंधमारी का अंदेशा है। यह बात दीगर है कि बीजेपी या टीएमसी में से कोई भी पार्टी इस गठबंधन को ज़्यादा अहमियत देने को तैयार नहीं है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष दावा करते हैं, ‘यहाँ टीएमसी और बीजेपी के बीच सीधा मुक़ाबला है और हम दो सौ से ज़्यादा सीटें जीत कर सरकार बनाएँगे। तमाम गठबंधनों का लक्ष्य बीजेपी को हराना है। लेकिन हम सबसे मुक़ाबले के लिए तैयार हैं।’
पश्चिम बंगाल से और ख़बरें
दूसरी ओर, टीएमसी के वरिष्ठ नेता व सांसद सौगत राय कहते हैं, ‘इस गठबंधन का चुनावों पर कोई असर नहीं होगा। यह एक कमज़ोर तीसरी ताक़त के तौर पर उभरेगा। उनका दावा है कि विधानसभा चुनावों में सीधे मुक़ाबले में बाज़ी टीएमसी के हाथ में रहेगी और दूसरे नंबर पर बीजेपी होगी। यहाँ किसी तिकोने मुक़ाबले की संभावना नहीं है।’
left congress alliance against mamta or bjp in wb assemble polls - Satya Hindi

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी कहते हैं कि ओवैसी के साथ मेल-मुलाक़ात के बावजूद पीरजादा अब्बासी धर्मनिरपेक्ष ताक़तों के साथ ही चुनाव मैदान में उतरना चाहते हैं। इससे यह धारणा टूट जाएगी कि विधानसभा चुनावों में टीएमसी व बीजेपी के बीच सीधा मुक़ाबला होगा।

अधीर के दावे के बावजूद लेफ्ट नेताओं में आईएसएफ़ को लेकर कुछ शंकाएँ हैं। आईएसएफ़ ने ख़ुद को मुसलमानों, दलितों और आदिवासियों की पार्टी घोषित किया है।

वैसे, लेफ्ट और कांग्रेस ने इसी शर्त पर अब्बासी के साथ तालमेल की बात शुरू की थी कि उनको ओवैसी से संबंध तोड़ने होंगे। बावजूद इसके लेफ्ट के नेता इस मामले में फूँक-फूँक कर क़दम रख रहे हैं। उनको आशंका है कि कहीं बीजेपी इस गठबंधन को अल्पसंख्यकों का क़रीबी बता कर हिंदू वोटरों के धुव्रीकरण का प्रयास नहीं करे। 

लेफ्ट के एक वरिष्ठ नेता नाम नहीं छापने की शर्त पर कहते हैं, ‘हम इस ख़तरे से वाकिफ हैं। आईएसएफ़ को चुनाव अभियान के दौरान धर्मनिरपेक्षता की राह पर चलना होगा।’

दावों और आरोपों-प्रत्यारोपों के लगातार तेज़ होते मौजूदा दौर में फ़िलहाल सबकी निगाहें इस ओर लगी हैं कि यह गठबंधन कैसी शक्ल अख्तियार करता है। इससे आगे चल कर कइयों के समीकरण बनने-बिगड़ने का अंदेशा है।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
प्रभाकर मणि तिवारी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

पश्चिम बंगाल से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें