पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 जैसे-जैसे क़रीब आता जा रहा है, वैसे-वैसे तीन तरह के समूहों की भूमिका महत्वपूर्ण होती जा रही है। स्थानीय लोग इन्हें सिंडिकेट, तोलाबाज और कट मनी ग्रुप कहते हैं। इनका जाल पूरे बंगाल में गाँव से लेकर शहर तक फैला हुआ है।
पश्चिम बंगाल चुनाव: बीजेपी को कैसे मिले कैडर!
- पश्चिम बंगाल
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- 29 Mar, 2025

सिंगुर आंदोलन के बाद नए उद्योगों ने बंगाल की तरफ़ देखना बंद कर दिया। क़ोरोना और लाँक डाउन के बाद अनुमान है कि क़रीब एक करोड़ प्रवासी मज़दूर वापस लौट चुके हैं जिनके पास कोई काम नहीं है। सिंडिकेट, तोलाबाज़ और कट मनी ग्रुप में उन्हें कमाई का ज़रिया दिखाई दे रहा है। ऐसे लोगों का एक हुजूम अब बीजेपी के पीछे है।
ये ग्रुप एक तरह समांतर सरकार चलाते हैं। इन्हें पुलिस और प्रशासन का पूरा समर्थन मिला होता है। इनकी मर्ज़ी के बिना कोई धंधा या सरकारी दफ़्तरों में काम कराना बहुत मुश्किल है। ये अपने हर काम की क़ीमत वसूलते हैं। चुनाव के समय बूथ मैनेजमेंट का काम ये लोग ही करते हैं। इसलिए राजनीतिक रूप से ये काफ़ी ताक़तवर हैं। सीपीआईएम के ज़माने से ही सरकारें इन्हें पालती पोसती आ रही है।
कौन है सिंडिकेट ?
बंगाल में राजनीतिक और सामाजिक संरचना का एक अनिवार्य हिस्सा बन चुके हैं सिंडिकेट, तोलाबाज और कट मनी वसूलने वाले स्थानीय संगठन। ये कभी किसी यूनियन के नाम से काम करते हैं तो कभी किसी क्लब के नाम पर। लेकिन ये गाँव, मोहल्ला, क़स्बा और शहर हर जगह मौजूद हैं। वास्तव में सिंडिकेट एक तरह के बिचौलियों का काम करता है।
शैलेश कुमार न्यूज़ नेशन के सीईओ एवं प्रधान संपादक रह चुके हैं। उससे पहले उन्होंने देश के पहले चौबीस घंटा न्यूज़ चैनल - ज़ी न्यूज़ - के लॉन्च में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। टीवी टुडे में एग्ज़िक्युटिव प्रड्यूसर के तौर पर उन्होंने आजतक