नेताजी सुभाष चंद्र बोस की विरासत को हथियाने और उन्हें अपना बताने की बीजेपी-टीएमसी होड़ में पश्चिम बंगाल सरकार ने एक अहम घोषणा की है। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 के पहले राज्य में चल रही शह और मात के खेल में केंद्र की चाल को नाकाम करने के लिए इसे सत्तारूढ़ दल की चाल के रूप में देखा जा सकता है।
पश्चिम बंगाल विधानसभा में लेखानुदान यानी 'वोट ऑन अकाउंट' पेश करते हुए सरकार ने एलान किया कि राजधानी कोलकाता में 100 करोड़ रुपए की लागत से एक भव्य नेताजी स्मारक बनाया जाएगा। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसका कारण बताते हुए कहा कि सुभाष बाबू का बड़ा और भव्य स्मारक नहीं है।
'जय हिंद भवन'
उन्होंने इसके साथ ही राज्य के हर ज़िले में 'जय हिंद भवन' बनाने की भी घोषणा की। उन्होंने कहा कि इससे युवाओं में देशप्रेम की भावना भरी जाएगी।
कविगुरु रवींद्रनाथ ठाकुर की स्मृति में कई जगहों पर रवींद्र भवन बनाए गए हैं, जो सांस्कृतिक केंद्र बन चुके हैं। इसी तरह 'जय हिंद भवन' बनाए जाएंगे।
ममता बनर्जी ने नेताजी के 'तुम मुझे ख़ून दो, मैं तुम्हे आज़ादी दूँगा' के नारे को उद्धृत करते हुए कहा, "आप मुझ पर भरोसा रखें, मैं बग़ैर किसी शर्त के पूरे समर्पण के साथ आपकी सेवा करती रहूँगी।" ज़ाहिर है, उनका इशारा उनमें आस्था जताने यानी उनकी पार्टी को वोट देने से ही था।
इसके साथ ही नेताजी की याद में कोलकाता पुलिस में एक नेताजी बटालियन का गठन किया जाएगा। सरकार ने इसके लिए 10 करोड़ रुपए का आबंटन किया है।
बता दें कि विधानसभा का कार्यकाल मई में खत्म हो रहा है और अप्रैल-मई में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव कराए जाएंगे।
नेताजी के नाम पर राजनीति
नेताजी के नाम पर राजनीति बीजेपी और राज्य की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस दोनों ही कर रही हैं। दोनों की कोशिश नेताजी के नाम पर वोट पाने की है।
इसकी शुरुआत बीजेपी ने 2017 में राज्य विधानसभा चुनाव के पहले ही कर दी, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुभाष बाबू से जुड़े क्लासीफ़ाइड यानी गोपनीय दस्तावेज सार्वजनिक करने की घोषणा की। समझा जाता है कि बीजेपी यह भी उम्मीद करती थी कि नेताजी और जवाहरलाल से जुड़ा कोई ऐसा दस्तावेज हाथ लग सकता है, जिससे कांग्रेस को घेरा जा सके। ऐसा नहीं हुआ, यह अलग बात है।
बीजेपी ने इसके अलावा नेताजी सुभाष चंद्र बोस के भाई के पोते चंद्र कुमार बोस को पार्टी में शामिल कराया।
पराक्रम दिवस
केंद्र सरकार ने नेताजी के जन्मदिन 23 जनवरी को हर साल 'पराक्रम दिवस' के रूप में मनाने का एलान इस साल उनके जन्मदिन पर किया। इस साल नेताजी की 125वीं जयंती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर कोलकाता में आयोजित एक कार्यक्रम में साल भर चलने वाले एक कार्यक्रम का उद्घाटन भी किया। इसके लिए गृह मंत्री अमित शाह की अगुआई में एक कमेटी का गठन किया जा चुका है।
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पश्चिम बंगाल सरकार ने नेताजी की 125 जयंती पर साल भर चलने वाले कार्यक्रमों का एलान पहले ही कर रखा है। इसके लिए बनी कमेटी की अगुआई नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन कर रहे हैं।
दरअसल, नेताजी पश्चिम बंगाल के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित प्रतीकों में एक हैं। वे बंगाली अस्मिता और बंगाली उप-राष्ट्रवाद के भी प्रतीक हैं। वे बंगालियों को सीधे अपील करते हैं और उनके नाम पर वोट मांगने की राजनीति कारगर हो सकती है। यही कारण है कि टीएमसी और बीजेपी, दोनों ही नेताजी के नाम पर राजनीति कर रही हैं।
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