मुसलिम तुष्टीकरण का आरोप झेल रही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भारतीय जनता पार्टी को उसी की बिसात पर मात देने की योजना बनाई है। उन्होंने मंगलवार को नंदीग्राम में एक कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करते हुए बीजेपी को खुली चुनौती दे डाली। बीजेपी के हिन्दू कार्ड का जवाब हिन्दू कार्ड से ही देते हुए कहा कि जो हिन्दू कार्ड खेलते हैं और धर्म की राजनीति करते हैं, वे उनसे आकर बात करें।
उन्होंने पहले तो बताया कि हिन्दू धर्म क्या है, उसके बाद मंच से एलान किया कि वे हिन्दू महिला हैं और रोज़ सुबह चंडी पाठ करने के बाद ही घर से निकलती हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने उसी समय वही मंच पर ही चंडी पाठ कर सुनाया।
भवानीपुर से नंदीग्राम
बता दें कि ममता बनर्जी इस बार कोलकाता स्थित अपनी पारपंरिक सीट भवानीपुर के बजाय मेदिनीपुर ज़िला स्थित नंदीग्राम से चुनाव लड़ रही हैं। उनके विश्वस्त सिपहसालार रहे शुभेंदु अधिकारी ने उनका साथ छोड़ा, पार्टी छोड़ी, सरकार और विधानसभा सभा से इस्तीफ़ा दिया और बीजेपी में शामिल हो गए। वे नंदीग्राम के हैं और वाम मोर्चा सरकार के ज़बरन ज़मीन अधिग्रहण के ख़िलाफ़ चलाए गए आन्दोलन में ममता बनर्जी के दाएं हाथ थे।
शुभेंदु अधिकारी के व्यवहार से तिलमिलाई ममता बनर्जी ने एलान कर दिया कि वे नंदीग्राम से ही चुनाव लड़ेंगी। इस पर शुभेंदु अधिकारी ने उन्हें चुनौती देते हुए कहा कि यदि उन्होंने मुख्यमंत्री को 50 हज़ार वोटों के अंतर से नहीं हराया तो राजनीति छोड़ देंगे। बहरहाल, ममता बनर्जी नंदीग्राम से चुनाव लड़ रही हैं और उनका सामना शुभेंदु अधिकारी कर रहे हैं।
नामांकन से पहले हिन्दुत्व!
ममता बनर्जी नंदीग्राम से बुधवार को चुनाव का नामांकन भरेंगी। इसके पहले उन्होंने मंगलवार को नंदीग्राम में कार्यकर्ताओं से मुलाक़ात की, जनसभा की, लोगों से मुलाक़ात की और चंडी मंदिर का दर्शन किया। उन्होंने इसके साथ वे पीर स्थान मज़ार भी गईं। महत्वपूर्ण बात यह है कि ममता बनर्जी ने चंडी मंदिर दर्शन का वीडियो अपने फ़ेसबुक पेज पर डाला।
जगन्नाथ पूजा
इसके पहले बीते हफ़्ते ममता बनर्जी ने अपने घर पर जगन्नाथ पूजा की और उसका वीडियो अपने फ़ेसबुक पेज पर डाला। वे इस वीडियो में हवन करती हुई दिख रही हैं।सरस्वती वंदना
ममता बनर्जी ने इसी तरह इसके पहले सरस्वती पूजा के मौके पर भी न सिर्फ लोगों को बधाइयाँ और शुभकामनाएं दीं, बल्कि सरकार ने एक आधिकारिक वीडियो यूट्यूब पर जारी किया, जो सरस्वती वंदना है। इसमें दावा किया गया है कि ख़ुद मुख्यमंत्री ने इस गीत की रचना की है।दुर्गापूजा
इसी तरह राज्य सरकार ने दुर्गापूजा 2020 के पहले रजिस्टर्ड पूजा समितियों को पूजा के लिए पैसे दिए। ममता बनर्जी की दुर्गापूजा की राजनीति नई नहीं है, वे पहले भी पश्चिम बंगाल की इस धार्मिक व सांस्कृतिक प्रतीक का इस्तेमाल कर चुकी हैं। साल 2018 में विजयदशमी और मुर्हरम एक ही दिन पड़ने पर पुलिस ने दुर्गा विसर्जन की अनुमति नहीं दी। लेकिन अगले ही दिन राज्य सरकार ने कई पूजा समितियों को मिला कर प्रतिमा विसर्जन का बहुत ही बड़ा और भव्य आयोजन किया, जिसमें मुख्यमंत्री ख़ुद मौजूद थीं। इसे दुर्गापूजा कार्निवल कहा गया था।
'जय श्री राम'
यह इसलिए अहम है कि बीजेपी ने उन्हें 'जय श्री राम' के नारे के मुद्दे पर कई बार घेरा है। सबसे ताज़ा घटना 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती पर हुए सरकारी कार्यक्रम का है। इस कार्यक्रम में जब वे माइक पर कुछ बोलने के लिए गईं, बीजेपी के लोगों ने 'जय श्री राम' के नारे लगाए और उन्हें बोलने नहीं दिया।
नाराज़ ममता बनर्जी ने कहा कि सरकारी कार्यक्रम में इस तरह की नारेबाजी नहीं होनी चाहिए, इसके बाद वे भाषण दिए बग़ैर ही वहां से चली गईं। वहाँ मौजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न तो अपने समर्थकों को रोका न ही ममता को मनाने की कोई कोशिश की।
बीजेपी की जाल में ममता?
ऐसा लगता है कि 'जय श्री राम' के नारे पर ममता बनर्जी बीजेपी की जाल में फँसती चली जा रही है। बीजेपी यह नैरेटिव गढ़ रही है कि मुख्यमंत्री 'जय श्री राम' के ख़िलाफ़ हैं और इस तरह हिन्दू-विरोधी हैं।
यह एक बड़ा मुद्दा बन चुका है। सोमवार को जारी टाइम्स नाउ- सी वोटर चुनाव पूर्व सर्वेक्षण को यदि सही माना जाय तो यह साफ है कि लोग इसे मुद्दा मानते हैं।
सर्वे के अनुसार, 'जय श्री राम' के नारे पर आप क्या सोचते हैं, इस सवाल के जवाब में 40.70 प्रतिशत लोगों ने कहा कि इससे सांप्रदायिक धुव्रीकरण होगा। लेकिन 37.60% ने इसे आध्यात्मिक आह्वान माना।
बीजेपी की बिसात पर ममता ने दी शह!
पर्यवेक्षकों का कहना है कि बीजेपी की इस रणनीति की काट ममता बनर्जी ने इस रूप में निकाली है कि वे खुद को हिन्दू प्रतीकों से जोड़ें, वे इस कोशिश में खुद को बीजेपी नेताओं से बड़ा हिन्दू साबित करने में लगी हुई हैं। इसका ही नतीजा है कि वे एक ही दिन में दो-दो मंदिर जाकर पूजा करती हैं, और मंच से ही चंडी पाठ भी कर डालती हैं।
इससे एक सवाल तो उठता ही है कि वे बीजेपी की जाल में फँस गई हैं या बीजेपी को उसी की चाल से मात देने की कोशिश कर रही हैं? ऐसे में बीजेपी नेता और गृह मंत्री अमित शाह का वह तंज याद करने लायक है जब उन्होंने कहा था कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव ख़त्म होते-होते ममता बनर्जी 'जय श्री राम' का नारा लगाने लगेंगी।
अपनी राय बतायें