बड़ा उलटफेर!
पश्चिम बंगाल विधानसभा में 294 सीटें हैं और बीजेपी को साल 2016 के चुनाव में सिर्फ तीन सीटें मिली थीं। इस लिहाज से यह बहुत बड़ा उलटफेर है। यह बहुत बड़ा उलटफेर इसलिए भी है कि तृणमूल कांग्रेस को पिछली बार 211 सीटें मिली थीं। इस तरह सत्तारूढ़ दल को 57 सीटों का नुक़सान होता दिख रहा है जबकि बीजेपी 104 सीटों के फ़ायदे के साथ सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बन कर उभर सकती है।कांग्रेस-वाम मोर्चा को नुक़सान
इसी तरह कांग्रेस, वाम मोर्चा और दूसरे दलों को भी भारी नुक़सान होने की आशंका है। इन दलों को इस बार 33 सीटें मिल सकती हैं, जबकि पिछली बार इन्हें 76 सीटें मिली थीं, यानी इन्हें 43 सीटों का नुक़सान होता साफ दिख रहा है।बता दें कि बीजेपी ने पश्चिम बंगाल पर विशेष फोकस किया है और नरेंद्र मोदी समेत तमाम केंद्रीय नेता कई बार राज्य का दौरा कर चुके हैं और कई सभाओं कों संबोधित कर चुके हैं।
पश्चिम बंगाल बीजेपी ने 'कट मनी', 'सिंडेकट' और ममता बनर्जी के परिवारवाद को मुद्दा बनाया और चुनाव पूर्व सर्वेक्षण से पता चलता है कि ये चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे।
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इस सर्वे पर भरोसा करें तो सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को 42.2 प्रतिशत, बीजेपी को 37.5 प्रतिशत, कांग्रेस-लेफ्ट के तीसरे मोर्चे को 14.8 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान है।ममता से नाराज़गी?
टाइम्स नाउ-सी वोटर के चुनाव-पूर्व सर्वेक्षण में पाया गया है कि लोग राज्य सरकार के कामकाज से बहुत खुश नहीं हैं जबकि केंद्र सरकार के कामकाज से संतुष्ट दिखते हैं। इसी तरह टीएमसी के उठाए मुद्दे बाहरी पार्टी को लोगों ने ज़्यादा तरजीह नहीं दी जबकि बीजेपी के उठाए मुद्दों मसलन 'कट मनी' और 'सिंडिकेट' को लोगों ने अधिक महत्व दिया है।बाहरी पार्टी
सर्वे के अनुसार, 39.40 प्रतिशत लोगों ने बाहरी आदमी के मुद्दे को ग़ैरज़रूरी बताया, जबकि 31.20 प्रतिशत ने इसे ज़रूरी माना है। इसके अलावा 29.4% ने कहा कि वे ठीक-ठीक कह नहीं सकते।'कट मनी'
सर्वे में भाग लेने वालों से पूछा गया कि क्या 'कट मनी' का मुद्दा वोट डालने के फैसले को प्रभावित करेगा? इसके जवाब में 45.20 प्रतिशत लोगों ने कहा 'हाँ', 27.60% ने कहा 'नहीं'। 27.20 प्रतिशत ने कहा 'पता नहीं।''जय श्री राम' नारे का असर
'जय श्री राम' का नारा भी चुनाव का एक मुद्दा बन चुका है और इसका असर भी वोटिंग पैटर्न पर पड़ सकता है। सर्वे के अनुसार, 'जय श्री राम' के नारे पर आप क्या सोचते हैं, इस सवाल के जवाब में 40.70 प्रतिशत लोगों ने कहा कि इससे सांप्रदायिक धुव्रीकरण होगा। लेकिन 37.60% ने इसे आध्यात्मिक आह्वान माना। इसके साथ ही 21.70 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्हें पता नहीं।
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