अगले साल पश्चिम बंगाल विधानसभा के चुनाव बहुत दिलचस्प होने जा रहे हैं। लोकसभा चुनाव 2019 से भगवा फहराने की तैयारी में बीजेपी क्या बंगाल में कमल खिला सकेगी? यह बहुत मौजूँ सवाल है।
बंगाल में बीजेपी के लिये भगवा झंडा फहराना क्यों आसान नहीं?
- पश्चिम बंगाल
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- 10 Dec, 2020

उत्तर भारत में हिंदुत्ववादी राजनीति के वर्चस्व के बावजूद बंगाली समाज सांप्रदायिक रूप से विभाजित नहीं हुआ। इसका एक कारण बांग्ला संस्कृति है। बंगाल के हिन्दू, मुसलमान सब बांग्ला बोलते हैं। केवल 5 फ़ीसदी मुसलमानों की जबान उर्दू है। इस मज़बूत सौहार्द का दूसरा बड़ा कारण बंगाल में वामपंथियों का लंबा शासन है।
अगले साल अप्रैल-मई में होने वाले चुनावों के लिए बिगुल बज चुका है। बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और गृह मंत्री अमित शाह लगातार बंगाल पर नज़रें टिकाए हुए हैं। बंगाल को लेकर बीजेपी की गंभीरता को इस बात से समझा जा सकता है कि बिहार चुनाव के दौरान अमित शाह कोलकाता की सड़कों पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को राजनीतिक चुनौती दे रहे थे। बिहार में एनडीए की जीत का जश्न मनाने, दिल्ली के बीजेपी कार्यालय पहुँचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजनीतिक हत्याओं का ज़िक्र करके बंगाल की ओर इशारा कर दिया है।
लेखक सामाजिक-राजनीतिक विश्लेषक हैं और लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में असि. प्रोफ़ेसर हैं।