"उनकी मृत्यु से विश्व का लोकतंत्र दुर्बल हो गया। लोकतंत्र की विचारधारा का एक बड़ा हिमायती नष्ट हो गया। संविधान के प्रचंड कार्य और हिंदू संहिता संबंधी कार्य कर उन्होंने राष्ट्र की जो सेवा की, उसका स्मरण करते हुए प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने लोकसभा में कहा कि 'हिंदू समाज की जुल्म करने वाली सभी प्रवृत्तियों के ख़िलाफ़ विद्रोह करने वाले व्यक्ति के रूप में आंबेडकर का प्रमुखतया स्मरण रहेगा। उन्होंने उन जुल्म करने वाली प्रवृत्तियों का कड़ा विरोध किया, इसीलिए लोगों के दिल जागृत हुए।... उन्होंने सरकारी कामकाज में बड़ा विधायक और महत्वपूर्ण कार्य किया। उन्होंने जिनके ख़िलाफ़ विद्रोह किया, उनके ख़िलाफ़ हर एक व्यक्ति को विद्रोह करना चाहिए।” - बाबा साहब के पहले जीवनीकार धनंजय कीर

बाबा साहब के परिनिर्वाण दिवस पर उनके जीवन संघर्ष और समता-न्याय पर आधारित उनकी उदार लोकतंत्र की अवधारणा से सीखने की ज़रूरत है। जिस हिन्दू धर्म की वर्ण व्यवस्था और हिन्दुत्व की वैचारिकी से बाबा साहब जीवन भर जूझते रहे, आज उसकी सत्ता है। हिन्दुत्व का मुक़ाबला करने के लिए बाबा साहब ने अपने अंतिम दौर में जो क़दम उठाया था, उस पर भी पहरा बिठा दिया गया है...
बाबा साहब डॉ. आंबेडकर इस सदी के महानायक हैं। वह सिर्फ़ दलितों के मसीहा नहीं हैं, बल्कि सभी वंचित तबक़ों के नायक हैं। दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों और स्त्रियों के अधिकारों के लिए वह जीवन भर संघर्ष करते रहे। अपनी आख़िरी साँस तक, वह इस देश की आत्मा को समता और न्याय की ज्योति से प्रज्ज्वलित करने का प्रयत्न करते रहे।
लेखक सामाजिक-राजनीतिक विश्लेषक हैं और लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में असि. प्रोफ़ेसर हैं।