रवींद्रनाथ ठाकुर द्वारा स्थापित विश्व भारती विश्वविद्यालय विवादों के केंद्र में है, जहाँ पढ़ाई-लिखाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है और परिसर में आन्दोलन तेज़ है।
विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर विद्युत चक्रवर्ती ने 11 शिक्षकों और 11 ग़ैर-शिक्षकों को अलग-अलग कारणों से निलंबित कर दिया है और तीन छात्रों को विश्वविद्यालय से निकाल दिया है।
कलकत्ता हाई कोर्ट ने छात्रों को निकालने के फ़ैसले पर रोक लगाते हुए उन्हें क्लास करने की अनुमति दी है। लेकिन शिक्षकों व ग़ैर-शिक्षकों के निलंबन का मामला वैसे ही लटका हुआ है। इन्हें 150 से ज़्यादा 'कारण बताओ नोटिस' जारी किए गए हैं।
इनमें से कुछ शिक्षकों का कहना है कि विश्वविद्यालय में चल रही अनियमितताओं के ख़िलाफ़ प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखने के कारण उनके ख़िलाफ़ ये कार्रवाइयाँ की गई हैं।
प्रधानमंत्री विश्व भारती विश्वविद्यालय के कुलपति होते हैं।
शिक्षकों के संगठन विश्व भारती यूनिवर्सिटी फैकल्टी एसोसिएशन के अध्यक्ष सुदीप्त भट्टाचार्य ने 'इंडियन एक्सप्रेस से कहा, "मुझे निलंबित कर दिया गया और मुझे पर आरोप लगाया गया है कि मैंने एक महिला सहकर्मी के साथ बदतमीजी की है, यह बेबुनियाद आरोप है।"
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हम में से कुछ लोगों ने विश्वविद्यालय के चांसलर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राज्यपाल जगदीप धनकड़ और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को एक ई-मेल लिखा है। लेकिन इस आधार पर किसी को निलंबित नहीं किया जा सकता है।
सुदीप्त भट्टाचार्य, अध्यक्ष, विश्व भारती यूनिवर्सिटी फैकल्टी एसोसिएशन
निलंबन का आधार
इन शिक्षकों को निलंबित करने की जो चिट्ठी दी गई है, उसमें कहा गया है कि अपने ही कुछ सहकर्मियों पर बेबुनियाद आरोप लगाने, उनके बारे में अपमानजनक बातें कहने और उन्हें प्रचारित करने के आरोप में इन्हें निलंबित किया जा रहा है।
विश्वविद्यालय के पाठ भवन के प्रिंसपल की नियुक्ति में कथित गड़बड़ी का आरोप लगाए जाने के बाद ही इन लोगों को निलंबित किया गया।
भट्टाचार्य ने कहा कि वाइस चांसलर उन सभी लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करते हैं और उन्हें परेशान करते हैं जो उनसे सहमत नहीं होते हैं।
उन्होंने इसकी मिसाल देते हुए कहा कि फ़ीजिक्स विभाग के एक प्रोफ़ेसर को सिर्फ इसलिए निलंबित कर दिया गया कि उन्होंने भट्टाचार्य के निलंबन की जाँच कर रहे एक प्रोफ़ेसर से मुलाकात की थी।
फीजिक्स विभाग के उस प्रोफेसर ने इसकी पुष्टि की है।
बदले की भावना?
'इंडियन एक्सप्रेस' का कहना है कि जैव प्रौद्योगिकी विभाग के एक प्रोफेसर ने एक संस्थान के प्रिंसपल से किसी मुद्दे पर बहस कर ली तो उन्हें भी निलंबित कर दिया गया। उन्होंने जिस प्रिंसपल से बहस की थी, वह वाइस चांसलर के नज़दीक समझे जाते हैं।
भाषा भवन के प्रिंसपल - अभिजीत सेन, कैलाश चंद्र पटनायक और नरोत्तम सेनापति ने अपने निलंबन को अदालत में चुनौती दे रखी है। उन पर वित्तीय अनियमितता का आरोप लगा कर उन्हें निलंबित किया गया था।
विश्व भारती यूनिवर्सिटी फैकल्टी एसोसिएशन के अध्यक्ष सुदीप्त भट्टाचार्य ने 'इंडियन एक्सप्रेस से कहा, "इनमें से कुछ लोगों के निलंबन का आधार सही हो सकता है और उनकी जाँच की जानी चाहिए, पर मोटे तौर पर लोगों को परेशान करने के लिए बेबुनियाद आरोपों के आधार पर निलंबित किया गया है।"
इसके अलावा नौ लोगों को नौकरी से निकाल दिया गया है। इनमें ऑफिशिएटिंग वाइस चांसलर सबुज कली सेन भी शामिल हैं।
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