टीएमसी के 27वें स्थापना दिवस समारोह में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और युवा पदाधिकारियों के बीच कामकाज को लेकर एक-दूसरे पर कटाक्ष किए जाने के बीच इस बैठक को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। ममता और अभिषेक की बैठक दो घंटे तक चली।
इस घटनाक्रम के बाद तृणमूल के बंगाल प्रदेश अध्यक्ष 73 वर्षीय सुब्रत बख्शी ने खुले तौर पर उम्मीद जताई कि डायमंड हार्बर से सांसद अभिषेक इस साल के अंत में होने वाला लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। बख्शी ने कहा, "अभिषेक बनर्जी हमारे राष्ट्रीय महासचिव हैं। हमें यकीन है कि वह आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने से पीछे नहीं हटेंगे। अगर वह लड़ेंगे तो ममता बनर्जी के नेतृत्व और पार्टी चिन्ह के तहत लड़ेंगे।" सुब्रत को ममता का काफी नजदीकी और वफादार माना जाता है। लेकिन सुब्रत के बयान को पार्टी के युवा नेताओं ने सहन नहीं किया।
सुब्रत की टिप्पणी पर टीएमसी के राज्य महासचिव कुणाल घोष ने तीखी प्रतिक्रिया दी। कुणाल को अभिषेक बनर्जी का करीबी माना जाता है। कुणाल ने मांग कर डाली कि बख्शी अपने शब्द वापस लें। कुणाल घोष ने कहा, "मैं प्रदेश अध्यक्ष का सम्मान करता हूं, लेकिन मुझे उनके शब्दों के इस्तेमाल पर आपत्ति है। यह वांछनीय नहीं था। अभिषेक पार्टी की ताकत हैं। अगर पार्टी वह (अभिषेक) जो कहना चाहते हैं उसे पार्टी सुनती है, तो यह उसके लिए अच्छा है।"
इस बहस को ममता बनर्जी के करीबी वरिष्ठ टीएमसी नेता फिरहाद हकीम और सुदीप बंदोपाध्याय ने और हवा दे दी। बंदोपाध्याय, जो वर्षों से पार्टी में हैं, ने कहा- "एक बार जब पार्टी सुप्रीमो (ममता) बंगाल की मुख्यमंत्री के रूप में पद छोड़ देंगी, तो राज्य अस्त-व्यस्त हो जाएगा।" मंत्री और शहर के मेयर हकीम ने इस बात पर जोर दिया कि पार्टी के नए नेताओं को टीएमसी के संघर्ष का इतिहास सीखना चाहिए। मेयर हकीम ने कहा- "हमें लोगों का विश्वास जीतने और राजनीतिक रूप से उस स्थान तक पहुंचने में कई साल लग गए जहां हम आज हैं।"
कुणाल घोष ने सवाल किया कि अभिषेक के खिलाफ नेगेटिव शब्द क्यों इस्तेमाल किए जा रहे हैं। घोष ने कहा- "अभिषेक बनर्जी एक नेता हैं और नेगेटिव अर्थ वाले शब्द न सिर्फ अपमानजनक हैं बल्कि हमारी पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोबल भी गिराने वाले हैं।" घोष, जो पार्टी प्रवक्ता भी हैं, ने दिसंबर में सत्ता संघर्ष की अफवाहों पर कहा था कि पार्टी के पुराने और नई पीढ़ी के नेताओं के बीच कोई संघर्ष नहीं है। उन्होंने पार्टी में ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी दोनों की जरूरत पर जोर दिया।
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