पश्चिम बंगाल के दो मंत्रियों समेत सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस के चारों नेताओं को नारद घूसखोरी कांड में ज़मानत मिल गई है।
कोलकाता हाई कोर्ट ने उन्हें दो-दो लाख रुपए के निजी मुचलके पर अंतरिम ज़मानत दे दी है। इनमें दो मंत्री फ़िरहाद हक़ीम व सुब्रत मुखर्जी और विधायक मदन मित्र व पूर्व विधायक शोभन चट्टोपाध्याय हैं।
सीबीआई को फटकार
जस्टिस मुखर्जी ने सीबीआई को कड़ी फटकार लगाते हुए उससे पूछा कि यह मामला जब 2017 से ही चल रहा है तो इतने दिन आपने इन्हें गिरफ़्तार क्यों नहीं किया और अब इन्हें ज़मानत नहीं देने और जेल में रखे जाने का क्या औचित्य है?बता दें कि सीबीआई ने नारद घूसखोरी कांड में 17 मई को कैबिनेट मंत्री फ़िरहाद हक़ीम और सुब्रत मुखर्जी, टीएमसी विधायक मदन मित्रा और पूर्व मेयर सोभन चटर्जी के घरों पर छापे मार कर उन्हें गिफ्तार किया था। सीबीआई की विशेष अदालत ने चारों को 17 मई को ही अंतरिम ज़मानत दे दी थी।
लेकिन बाद में कलकत्ता हाईकोर्ट ने चारों को नज़रबंद रखने का आदेश दे दिया था। हाउस अरेस्ट के आदेश को सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की अर्जी खारिज कर दी थी।
क्या है नारद घूसखोरी कांड?
सबसे पहले यह नारद स्टिंग ऑपरेशन नाम 2016 के मार्च महीने में विधानसभा चुनावों के ठीक पहले सामने आया था। इस स्टिंग के टेप नारद न्यूज़ की वेबसाइट पर जारी किए गये थे। इस वेबसाइट को मैथ्यू सैमुएल ने बनाया था। मैथ्यू सैमुएल पहले तहलका नाम की पत्रिका में कार्यरत थे और वह संस्था के मैनेजिंग एडिटर थे। बाद में उन्होंने तहलका से इस्तीफ़ा दे दिया था।
कहा जाता है कि इस स्टिंग को 2014 में अंजाम दिया गया था, लेकिन तब इसे जारी नहीं किया जा सका था। तब एक रिपोर्ट के अनुसार मैथ्यू सैमुएल ने क़रीब 52 घंटे का फुटेज बनाया था। इस फुटेज में तत्कालीन सरकार के कई मंत्रियों के होने का दावा किया गया था।
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