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सांसद शिशिर अधिकारी के टीएमसी छोड़ बीजेपी में जाने से क्या होगा?

कुछ दिन पहले तक ममता बनर्जी के नज़दीकी रहे शुभेंदु अधिकारी के पिता और तृणमूल कांग्रेस सांसद शिशिर अधिकारी ने रविवार को पार्टी छोड़ दी। उन्होंने पूर्व मेदिनीपुर में बीजेपी की एक सभा में गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में टीएमसी छोड़ने का ऐलान कर दिया। शिशिर अधिकारी ने मंच से 'जय श्री राम' का नारा लगाया, लोगों से कहा कि वे 'पश्चिम बंगाल को ममता बनर्जी के अत्याचारों से मुक्त करें' और बीजेपी में शामिल होने की घोषणा भी कर दी।
लगभग 23 सालों से तृणमूल कांग्रेस में रहे शिशिर अधिकारी ने एगरा की जनसभा में पार्टी छोड़ने का एलान किया। इसके पहले उन्होंने पत्रकारों से कहा था,

"टीएसमी के लोगों ने मुझे बीजेपी में शामिल होने को मजबूर किया है। अब उन्हें जो करना हो करें, मेरी जो इच्छा होगी मैं करूँगा।"


शिशिर अधिकारी, टीएमसी सांसद

काँथी से सांसद

शुभेन्दु अधिकारी के पिता काँथी लोकसभा सीट से 2009 से ही सांसद हैं, वे मनमोहन सिंह सरकार में छह साल तक  राज्य मंत्री रहे। वे कुछ दिन पहले तक दीघा-शंकपुर विकास बोर्ड के अध्यक्ष थे।

छोटे बेटे शुभेन्दु के राज्य सरकार और विधानसभा से इस्तीफ़ा देकर बीजेपी में शामिल होने के बाद से ही यह कयास लगाया जा रहा था कि शिशिर अधिकारी भी जल्द ही भगवा पार्टी का दामन थाम लेंगे। 

शनिवार को बीजेपी के नेता मनसुख मांडवीय ने उनसे उनके घर जाकर मुलाक़ात की और एगरा में अमित शाह की रैली में शामिल होने का निमंत्रण दिया था। इसके कुछ दिन पहले बीजेपी सांसद लॉकेट चटर्जी ने उनसे घर पर मुलाक़ात की थी। 

शिशिर अधिकारी ने कहा,

"मैं मेदिनीपुर की प्रतिष्ठा के लिए संघर्ष करूंगा।"


शिशिर अधिकारी, टीएमसी सांसद

कितना असर?

पूर्व और पश्चिमी मेदिनीपुर में कुल 34 विधानसभा सीटें हैं। शिशिर अधिकारी के बेटे दिव्येंदु अधिकारी तमलकु से टीएमसी सांसद हैं। उनका एक और बेटा सौमेंदु अधिकारी कांथी म्युनिसलपैलिटी का अध्यक्ष था। इस तरह शिशिर अधिकारी और उनके तीन बेटे राजनीति में हैं, ये सभी कुछ दिन पहले तक तृणमूल कांग्रेस में थे और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नज़दीकी माने जाते थे। 

सवाल यह है कि अधिकारी परिवार के तृणमूल छोड़ कर बीजेपी में शामिल होने से पश्चिम बंगाल के सत्तारूढ़ दल को पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 में कितना नुक़सान होगा।

किसी समय सीपीआई और सीपीआईएम का गढ़ रहे ये दो ज़िले- पूर्व मेदिनीपुर और पश्चिमी मेदिनीपुर तृणमूल कांग्रेस के इलाक़े माने जाते हैं। पर अब सवाल यह है कि ममता बनर्जी इस गढ़ को कितना बचा पाएंगी और बीजेपी उसमें कितना सेंध लगा पाएगी।

पारंपरिक रूप से इस इलाक़े में बीजेपी का कोई जनाधार नहीं रहा है। लेकिन अब जबकि दो सांसद और एक विधायक वाला परिवार बीजेपी में शामिल हो गया है, टीएमसी के लिए निश्चित रूप से चिंता की बात है।

सवाल यह है कि लोग ममता बनर्जी के नाम पर इस बार भी तृणमूल उम्मीदवारों को वोट देंगे या अधिकारी परिवार सत्ता विरोधी भावनाओं को भुना कर लोगों को बीजेपी खेमे की ओर हाँक ले जाएगा। 

इसके पहले ही शुभेंदु अधिकारी के भाई सौमेंदु अधिकारी भी बीजेपी में शामिल हो गए थे। हाल के दिनों में सौमेंदु अधिकारी की तृणमूल कांग्रेस के नेतृत्व के साथ नहीं बन रही थी। 

सौमेंदु अधिकारी को हाल ही में पूर्व मेदिनीपुर ज़िले में कांठी नगरपालिका के प्रशासक बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था। इस फ़ैसले को सौमेंदु ने कलकत्ता हाईकोर्ट में चुनौती दी है। इसके बाद से कयास लगाए जा रहे थे कि वह अपने भाई के रास्ते पर जा सकते हैं। उन्होंने गुरुवार को कहा भी था, 'हर घर में कमल खिलेगा। थोड़ा इंतज़ार करें।' 19 दिसंबर को शुभेंदु अधिकारी बीजेपी में शामिल हो गए थे। वह पहले ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल सरकार में परिवहन मंत्री थे।

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क़मर वहीद नक़वी
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