पश्चिम बंगाल का संदेशखाली मुद्दा फिर से सुर्खियों में आ गया है। एक महिला और उनकी सास ने तृणमूल कांग्रेस नेताओं के खिलाफ अपनी बलात्कार की शिकायत वापस ले ली है। उन्होंने आरोप लगाया है कि उनसे बलात्कार का फर्जी केस कराया गया था। उन्होंने तो यह भी आरोप लगाया है कि उनसे कोरे कागज पर हस्ताक्षर कराए गए थे। महिलाओं ने इस संदर्भ में पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई है और केस वापस लेने की वजह से धमकी व बहिष्कृत किए जाने की आशंका जताई है। यह घटनाक्रम तब आया है जब सोशल मीडिया पर कुछ दिन पहले एक कथित वीडियो में एक भाजपा कार्यकर्ता संदेशखाली घटना में पार्टी की भूमिका का दावा कर रहा था।
तो सवाल है कि जिस संदेशखाली मामले को पूरे देश के सामने दरिंदगी और भयावह घटना के रूप में पेश किया गया, जिस घटना को बीजेपी ने पूरी शिद्दत से उठाया और जिस मामले को प्रधानमंत्री मोदी ने न सिर्फ़ उठाया, बल्कि उन्होंने संदेशखाली का दौरा तक किया, उसमें क्या कोई बड़ी साज़िश की गई थी? इसका जवाब ढूंढने से पहले यह जान लें कि ताज़ा मामला क्या आया है।
मीडिया से बात करते हुए महिला ने बताया कि कैसे उन्हें और उनकी सास को महिला आयोग के नाम पर शिकायत के तथ्य को जाने बिना शिकायत दर्ज करने के लिए मजबूर किया गया था। उन्होंने कहा कि जिस दिन राष्ट्रीय महिला आयोग की एक टीम ने दौरा किया था, उसी दिन पियाली नाम की एक महिला ने उन्हें अपनी शिकायतें बताने के लिए बुलाया। महिला ने कहा, 'मैंने उन्हें बताया कि हमें 100 दिनों की नौकरी योजना के तहत पैसे नहीं मिले हैं। मुझे केवल वह पैसा चाहिए था और कोई अन्य शिकायत नहीं है। कोई बलात्कार नहीं हुआ। उसने (पियाली) हमसे एक खाली कागज पर हस्ताक्षर करवाए।' एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा कि बाद में उन्हें पता चला कि वह उन महिलाओं की सूची में थीं जिन्होंने स्थानीय तृणमूल नेताओं पर बलात्कार का आरोप लगाया था।
महिला ने पियाली पर संदेशखाली को बदनाम करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, 'वह एक बाहरी व्यक्ति है, वह कहीं और से आई है और बड़ी-बड़ी बातें करती है। हमें नहीं पता कि उसे यहां हर किसी के बारे में जानकारी कैसे है। शुरुआत में वह सिर्फ यहां विरोध प्रदर्शन में भाग लेती थी। हमें बाद में पता चला कि वह बीजेपी के साथ है। हमसे झूठ बोलने और हमें फँसाने के लिए दंडित किया जाना चाहिए, मुझे यकीन है कि और भी लोगों को इस तरह धोखा दिया गया होगा।'
यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब भाजपा ने बंगाल में सत्तारूढ़ ममता बनर्जी सरकार पर निशाना साधने के लिए संदेशखाली मुद्दे को उठाया है।
संदेशखाली इस साल की शुरुआत में तब सुर्खियों में आया था जब कई महिलाओं ने तृणमूल के ताकतवर नेता शाहजहां शेख और उनके सहयोगियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया और उन पर जमीन हड़पने और यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया।
बता दें कि पिछले हफ्ते संदेशखाली विवाद में तब एक चौंकाने वाला मोड़ आ गया था जब एक स्थानीय भाजपा नेता का एक वीडियो वायरल हुआ। वीडियो में एक नेता को कथित तौर पर यह स्वीकार करते हुए दिखाया गया है कि संदेशखाली में कोई बलात्कार या यौन उत्पीड़न नहीं हुआ था और महिलाओं को अधिकारी के निर्देश पर ऐसी शिकायतें दर्ज करने के लिए राजी किया गया था।' हालाँकि भाजपा और वीडियो में दिखने वाले नेता ने दावा किया है कि क्लिप के साथ छेड़छाड़ की गई है और उनकी आवाज को एडिट किया गया है। पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई गई है।
बहरहाल, ताज़ा घटनाक्रम के बाद तृणमूल सांसद सुष्मिता देव ने आरोप लगाया है कि बीजेपी संदेशखाली की साहसी महिलाओं को उनके खिलाफ बोलने की हिम्मत करने के लिए धमकी दे रही है। उन्होंने कहा कि 'यह पार्टी कब तक धोखे का जाल बुनती रहेगी, अपने राजनीतिक लालच के लिए हमारी माताओं और बहनों की गरिमा को बेशर्मी से कुचलती रहेगी?'
भाजपा ने पलटवार किया है और तृणमूल के आरोपों को डैमेज कंट्रोल की कवायद बताया है। पार्टी प्रवक्ता प्रियंका टिबरेवाल ने एनडीटीवी से कहा कि तृणमूल को यह समझना होगा कि दूध बहने पर रोने का कोई फायदा नहीं है। उन्होंने कहा, 'तृणमूल अब जवाब क्यों दे रही है? वह दो-तीन महीने तक चुप क्यों थी। उन्होंने पहले कहा था कि महिलाएं झूठ बोल रही थीं, अब वे कह रहे हैं कि उनसे झूठ बुलवाया गया। जो भी नुकसान होना था वह हो चुका है।'
अब तृणमूल कांग्रेस ने संदेशखाली मामले में मनगढ़ंत आरोप लगाने का आरोप लगाते हुए विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी समेत कई बीजेपी नेताओं के खिलाफ चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई है।
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