पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में टीएमसी और बीजेपी के बीच घमासान तेज़ होते ही जांच एजेंसियों ने टीएमसी के बड़े नेताओं और उनके रिश्तेदारों को समन भेजना शुरू कर दिया है। सीबीआई और ईडी ने ममता सरकार के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी, पूर्व मंत्री मदन मित्रा को समन किया है। चटर्जी और मित्रा दोनों चुनाव मैदान में हैं। टीएमसी नेता मानस भूइयां को आई-कोर कंपनी के मामले में सीबीआई की ओर से चिट्ठी भेजी गयी है।
इसके अलावा सीबीआई ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी की साली मेनका गंभीर, उनके पति अंकुश अरोड़ा और ससुर पवन अरोड़ा को करोड़ों रुपये के कोयला चोरी के मामले में समन भेजा है। कुछ दिन पहले ही अभिषेक बनर्जी की पत्नी रूजिरा बनर्जी को सीबीआई ने कोयला घोटाले में पूछताछ के लिए समन भेजा था और उनसे पूछताछ भी की थी।
चटर्जी को आई कोर कंपनी के पोंजी घोटाला मामले में समन भेजा गया है। चटर्जी टीएमसी के महासचिव भी हैं। सीबीआई की आर्थिक अपराध शाखा ने चटर्जी से 15 मार्च को कोलकाता के सीजीओ कॉम्प्लेक्स स्थित ऑफ़िस में पेश होने के लिए कहा है। सीबीआई ने दावा किया है कि आई कोर कंपनी ने निवेशकों को बड़े रिटर्न का झांसा देकर 3 हज़ार करोड़ रुपये ठग लिए।
सीबीआई ने कहा है कि चटर्जी हाल ही में आई कोर कंपनी के एक कार्यक्रम में मौजूद रहे थे और उन्होंने उसे सरकार की ओर से मदद करने का वादा किया था। सीबीआई इस बात की पड़ताल कर रही है कि क्या चटर्जी और आई कोर कंपनी के बीच किसी तरह का पैसों का लेन-देन हुआ है। चटर्जी ने कहा है कि वे किसी भी तरह की पूछताछ के लिए तैयार हैं।
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उम्मीदवार घोषित होते ही समन
ईडी ने मदन मित्रा को सारदा मामले में पूछताछ के लिए बुलाया है। उनसे कहा गया है कि वे 18 मार्च को एजेंसी के अफ़सरों के सामने पेश हों। मित्रा को दिसंबर, 2014 में गिरफ़्तार किया गया था लेकिन सितंबर, 2016 में वह जमानत पर बाहर आ गए थे। चौंकाने वाली बात यह है कि ममता बनर्जी के मित्रा को उम्मीदवार घोषित करने के कुछ दिन के भीतर ही एजेंसी ने उन्हें समन भेज दिया।
टीएमसी के सांसद सौगत राय ने कहा कि सीबीआई और ईडी बीजेपी के दो सहयोगी हैं और इनका इस्तेमाल टीएमसी के नेताओं को डराने के लिए किया जा रहा है लेकिन यह उन्हें ही उल्टा पड़ जाएगा।
सैकड़ों नेताओं को समन
जब से मोदी सरकार सत्ता में आई है तब से विपक्षी नेताओं में हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू यादव, अखिलेश-मायावती, पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम, के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, वरिष्ठ कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा, कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार, सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा सहित कई और नेताओं और आम आदमी पार्टी के कई विधायकों को इन जांच एजेंसियों की ओर से समन भेजा जा चुका है।
मोदी सरकार पर यह आरोप लगते रहे हैं कि वह सीबीआई, ईडी, इनकम टैक्स जैसी प्रतिष्ठित जांच एजेंसियों को विरोधी दलों के नेताओं और उनके रिश्तेदारों के वहां छापेमारी करने भेजती है। ऐसे राज्यों में जहां चुनाव होने वाले होते हैं या फिर जिन राज्यों में विपक्ष की सरकारों को अस्थिर करना होता है वहां इन एजेंसियों की सक्रियता बढ़ जाती है।
किसान आंदोलन पर भी साया
दिल्ली के बॉर्डर्स पर चल रहे किसान आंदोलन में भी केंद्रीय एजेंसियों ने किसान नेताओं और आंदोलन का समर्थन करने वालों पर शिकंजा कसा। आढ़तियों, पंजाबी गायकों, लेखकों, पत्रकारों, व्यापारियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं तक को ईडी, इनकम टैक्स और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के नोटिस गए। इसके अलावा पत्रकारों, आलोचकों की आवाज़ को दबाने के मक़सद से भी एजेंसियों का इस्तेमाल करने के आरोप सरकार पर हैं।
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