क्या अयोध्या के राम जन्मभूमि -बाबरी मसजिद विवाद के निपटारे के बाद राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ की नज़र अब काशी और मथुरा के विवादित पूजा स्थलों पर है? क्या वह अब मथुरा की शाही ईदगाह और काशी की ज्ञानवापी मसिजदों के बहाने हिन्दुओं को एकजुट करने के एजंडे पर काम कर रहा है?
अब मथुरा-काशी के बहाने हिंन्दुओं को एकजुट करने की कोशिश में आरएसएस?
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- 13 Mar, 2021
क्या अयोध्या के राम जन्मभूमि -बाबरी मसजिद विवाद के निपटारे के बाद राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ की नज़र अब काशी और मथुरा के विवादित पूजा स्थलों पर है? क्या वह अब मथुरा की शाही ईदगाह और काशी की ज्ञानवापी मसिजदों के बहाने हिन्दुओं को एकजुट करने के एजंडे पर काम कर रहा है?

ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट में पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 को चुनौती देने वाले
अश्विनी उपाध्याय भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हैं। और उन्होंने अदालत में याचिका दायर कर कहा है कि इस अधिनियम से न्यायिक पुनर्विचार के मौलिक अधिकार का उल्लंघन होता है, जिसकी गारंटी संविधान में दी गई है। उन्होंने यह भी कहा है कि इस अधिनियम की वजह से जैन, बौद्ध, सिख और हिन्दू समुदाय से जुड़ा कोई व्यक्ति अपने धार्मिक स्थल को फिर से बहाल करने की माँग नहीं कर सकता, जिसे 15 अगस्त 1947 के पहले विदेशी हमलावरों ने नष्ट कर दिया था।