मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की दो-सदस्यीय बेंच ने इशारों-इशारों में वह सब कह दिया जो पिछले कुछ दिनों से मीडिया का एक तबक़ा कहने की कोशिश कर रहा था लेकिन साफ़-साफ़ नहीं कह पा रहा था। न्यायमूर्ति विनीत शरण और भूषण गवई की इस बेंच ने कलकत्ता हाई कोर्ट की एक दो सदस्यीय बेंच की भूमिका पर उँगली उठाई है जिसने पिछले दिनों नारद कांड के अभियुक्तों की ज़मानत पर रिहाई को रोकने के मामले में 'असाधारण फुर्ती’ दिखाई। इस बेंच ने सीबीआई की ‘पक्षपातपूर्ण’ भूमिका पर भी सवाल किया।
नारद कांड में ज़मानत रोकने के फ़ैसले पर सुप्रीम कोर्ट हैरान!
- पश्चिम बंगाल
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- 26 May, 2021

नारद स्टिंग मामले में टीएमसी के दो मंत्रियों समेत चार नेताओं की गिरफ़्तारी हुई और यह मामला सीबीआई की विशेष कोर्ट में गया जहाँ से चारों को अंतरिम ज़मानत मिल गई। लेकिन सीबीआई इन नेताओं को छोड़ने के बजाय हाई कोर्ट चली गई जिसने इनकी रिहाई पर रोक लगा दी। हाई कोर्ट के इस 'असाधारण' फ़ैसले पर सुप्रीम कोर्ट भी हैरान है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या-क्या कहा और उसका क्या मतलब है, यह जानने से पहले संक्षेप में समझ लें कि मामला क्या है। मामला है 2016 में जारी एक स्टिंग विडियो का जिसमें सत्तारूढ़ तृणमूल के कुछ नेता मैथ्यू सैम्युअल नामक एक खोजी पत्रकार और उनके एक साथी से पैसे लेते देखे गए थे।
नीरेंद्र नागर सत्यहिंदी.कॉम के पूर्व संपादक हैं। इससे पहले वे नवभारतटाइम्स.कॉम में संपादक और आज तक टीवी चैनल में सीनियर प्रड्यूसर रह चुके हैं। 35 साल से पत्रकारिता के पेशे से जुड़े नीरेंद्र लेखन को इसका ज़रूरी हिस्सा मानते हैं। वे देश