याचिका में सीबीआई ने कहा है कि वह सोमवार को टीएमसी के नेताओं की कस्टडी इसलिए नहीं मांग सकी क्योंकि गिरफ़्तार अभियुक्तों के द्वारा आतंक का माहौल बना दिया गया था और इस दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी वहां मौजूद थीं।
इन नेताओं की गिरफ़्तारी के बाद सीबीआई के कोलकाता दफ़्तर के बाहर टीएमसी के कार्यकर्ताओं का जमावड़ा लग गया था। ममता बनर्जी ने दफ़्तर के बाहर धरना दिया था और सीबीआई को चुनौती दी थी कि वह उन्हें भी गिरफ़्तार करे।
सीबीआई ने कहा है कि यह भीड़ सोच-समझकर इकट्ठा की गई थी और ऐसा सीबीआई को आतंकित करने और उसे उसका काम करने से रोकने के लिए किया गया था।
चार नेताओं को किया गिरफ़्तार
नारद स्टिंग मामले में सोमवार सुबह टीएमसी के चार नेताओं को गिरफ़्तार किया गया था। इन नेताओं में नगर विकास मंत्री फ़िरहाद हाकिम, पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी, विधायक मदन मित्र और विधायक शोभन चट्टोपाध्याय का नाम शामिल है। अगले दिन इन नेताओं को जेल भेज दिया गया था, इनमें से कुछ नेताओं को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था।
क्या है नारद घूस कांड?
2016 में मैथ्यू सैमुअल नामक पत्रकार ने एक स्टिंग ऑपरेशन किया था। इसमें वह खुद को इमपेक्स कंसलटेन्सी सर्विसेज का प्रमुख बताते हैं, वह कहते हैं कि वह पश्चिम बंगाल में निवेश करना चाहते हैं। इस सिलसिले में वह सात सांसदों, चार विधायकों और एक रिटायर्ड पुलिस अधिकारी से मदद मांगते हैं, इसके बदले में वह सबको तीन लाख या इससे थोड़ा ज़्यादा रकम बतौर घूस देते हैं और इस घटना को ख़ुफ़िया कैमरे से रिकॉर्ड कर लेते हैं।
बाद में इसे बांग्ला टीवी चैनलों पर ऑपरेशन नारद के नाम से चलाया गया। जिन लोगों के नाम इसमें आए, वे सभी टीएमसी से जुड़े थे। सीबीआई ने 11 लोगों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज कर जांच शुरू की थी। इनमें से तत्कालीन सांसद मुकुल राय और शुभेंदु अधिकारी और विधायक शोभन चट्टोपाध्याय ने टीएमसी छोड़ दी थी और बीजेपी में शामिल हो गए थे।
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