देश में मंगलवार को 24 घंटे में कोरोना से रिकॉर्ड 4529 मौतें हुईं। एक दिन में इतनी ज़्यादा मौतें पहले नहीं हुई थीं। लेकिन इसी दौरान देश में क़रीब 2 लाख 67 हज़ार पॉजिटिव केस आए। यह क़रीब 13 दिन पहले एक दिन में सबसे ज़्यादा 4 लाख 14 हज़ार मामले से काफ़ी कम है। क़रीब एक महीने पहले इतने मामले आ रहे थे। तो सवाल है कि आख़िर कोरोना पॉजिटिव केस जब लगातार कम हो रहे हैं तो मौत के मामले क्यों बढ़ते जा रहे हैं? क्या कोरोना संक्रमित में मृत्यु दर बढ़ गई है?
इसके वास्तविक कारणों को समझना है तो कुछ आँकड़ों पर गौर करें। जब कोरोना संक्रमण के मामले क़रीब 4 लाख आने शुरू हुए थे तब 3600 से लेकर 3900 मौतें हो रहे थीं। 6 मई के बाद से पॉजिटिव केसों की संख्या कम होनी शुरू हुई है, लेकिन मौत के मामले बढ़ते रहे हैं। सामान्य तौर पर कोरोना संक्रमण के मामले आने के बाद दो हफ़्ते बाद मौत के आँकड़ों में बदलाव आता है। इस हिसाब से जब 13 दिन पहले पॉजिटिव मामलों की संख्या अपने शिखर पर थी तो एक-दो दिन में मौत का आँकड़ा भी कम होना शुरू हो जाना चाहिए। हालाँकि इसके बावजूद ऐसा हो सकता है कि कभी किसी दिन मौत का आँकड़ा बढ़ जाए। और इसकी पीछे भी एक बड़ा कारण है।
इसको समझना है तो चीन के उस मामले से समझें जब चीन में कुल मौत के आँकड़े 3300 के आसपास थे और तब एकाएक क़रीब 1300 लोगों की मौत के मामले बढ़ा दिए गए थे और वह आँकड़ा बढ़कर 4600 से ज़्यादा हो गया था। यह पिछले साल अप्रैल का महीना था और तब चीन में कभी-कभार कुछ मामले आ जाते थे। यह संख्या दहाई में भी मुश्किल से ही होती थी। तो सीधा सवाल उठता है कि जब संक्रमण के मामले न के बराबर आ रहे थे तो 1300 लोगों की मौत का आँकड़ा कैसे बढ़ गया? दरअसल, चीन ने अपनी मृतकों की संख्या में संशोधन किया था। उसने कहा था कि कई मामलों में मौत का कारण जानने में ग़लती हुई या कई मामलों का पता ही नहीं चल पाया था। इसी संशोधन के कारण मौत का आँकड़ा बढ़ गया था।
ऐसे ही मामले भारत में आ रहे हैं। यानी कुछ कारणों से जब कोरोना मौत के मामले ग़लत रूप से गिन लिए गए या गाँव के दूर-दराज में कोरोना मौत के मामलों का बाद में पता चले तो उसे बाद में जोड़ा जाता है और इस कारण मौत का आँकड़ा बढ़ जाता है। हाल में महाराष्ट्र, कर्नाटक जैसे राज्यों में ऐसे मामले आए हैं।
महाराष्ट्र में सोमवार को 1019 लोगों की मौत का आंकड़ा आया था। इसमें से 289 तो शनिवार और सोमवार के बीच के मौत के आँकड़े थे जबकि 227 उससे पहले के हफ़्ते के दिनों के थे। 484 मौत के आँकड़े उससे पहले के हफ़्ते के थे जिन्हें अब तक कोरोना से मौत के आँकड़ों में जोड़ा नहीं जा सका था।
कई राज्यों में ऐसी प्रशासनिक देरी हुई है और जिसे बाद में मौत के आँकड़ों में जोड़ा गया है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार कर्नाटक में 476 मौत के आँकड़े सामने आए थे इसमें से कई मौत के मामले तो मार्च महीने के जोड़े गए और कुछ अप्रैल के थे।
इस लिहाज से संभव है कि मौत के आँकड़े बाद में भी ज़्यादा आ जाएँ तो आश्चर्य नहीं है। लेकिन बहरहाल कोरोना संक्रमण के जो आँकड़े आ रहे हैं उससे कोरोना की दूसरी लहर के ढलान पर होने के संकेत मिलते हैं। देश के क़रीब 200 ज़िलों में केस कम हुए हैं।
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