तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी का अलग ही फॉर्मूला है! उनकी पार्टी टीएमसी विपक्षी एकता के साथ भी रहेगी और बीजेपी के साथ ही सीपीएम और कांग्रेस के ख़िलाफ़ भी लड़ेगी! तो सवाल है कि यह कैसी रणनीति है?
इस सवाल पर लोगों को संदेह हो सकता है या फिर कुछ कयास लगाए जा सकते हैं, लेकिन ममता बनर्जी बिल्कुल स्पष्ट हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर वह विपक्षी एकता के साथ होंगी, लेकिन राज्य में चुनाव में वह सभी दलों से लड़ेंगी। उन्होंने कहा कि टीएमसी त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में भाजपा को हरा देगी। सीएम ने आगे कहा, 'पंचायत चुनावों के बाद, हम केंद्र में बीजेपी को हराएंगे और देश में एक विकासोन्मुख सरकार बनाएंगे।' उन्होंने कहा, 'सीपीआई (एम), कांग्रेस और भाजपा ने यहां गठबंधन बनाया है। उन्हें हराएँ। दिल्ली (केंद्र) में हमारा महागठबंधन होगा। यहां हम बीजेपी के खिलाफ लड़ेंगे।'
ममता बनर्जी 8 जुलाई को होने वाले पंचायत चुनाव के लिए पहली बार प्रचार कर रही थीं। उन्होंने सोमवार को कूचबिहार में कहा कि चुनाव के बाद तृणमूल कांग्रेस जमीनी स्तर पर भ्रष्टाचार नहीं होने देगी। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधा।
ममता ने कहा है, 'मुझे जानकारी है कि बीएसएफ के कुछ अधिकारी सीमावर्ती क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं, मतदाताओं को धमका रहे हैं और उन्हें वोट न देने के लिए कह रहे हैं। मैं लोगों से कहती हूं कि वे डरें नहीं और निडर होकर चुनाव में भाग लें।'
ममता बनर्जी की तरह ही विचार मार्क्सवादी नेता डी राजा ने भी रखे हैं। अरविंद केजरीवाल की पार्टी आप की विपक्षी एकता से अलग हटने की चेतावनी के बीच डी राजा ने कहा है कि यह विपक्षी एकता के लिए झटका नहीं है और उन्होंने कहा कि स्वतंत्र राजनीतिक दलों के रूप में कुछ मामलों पर छोटी-मोटी विसंगतियाँ हो सकती हैं, लेकिन इस पर काबू पाया जा रहा है। इस बीच डी राजा ने विचार-विमर्श में टीएमसी नेता ममता बनर्जी की भागीदारी और उसके बाद खुलकर बोलने को भी एक सकारात्मक संकेत बताया है।
डी राजा का यह बयान तब आया है जब पटना में 15 विपक्षी दलों की बैठक के बाद अरविंद केजरीवाल की पार्टी की धमकी सामने आई है। पटना में संयुक्त विपक्ष की बैठक के बाद आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस ने दिल्ली में केंद्र के अध्यादेश की आलोचना करने से इनकार कर दिया है और जब तक 'काले अध्यादेश' की आलोचना नहीं की जाती तब तक पार्टी समान विचारधारा वाले दलों की भविष्य की बैठकों में भाग नहीं लेगी।
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