देश के भविष्य से जुड़े हर छोटे-बड़े मुद्दे पर एक रहस्यमय और लंबी चुप्पी साध लेने में माहिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्या आपातकाल की वर्षगाँठ की पूर्व संध्या पर पटना में हुई विपक्षी दलों की बैठक और उसके बाद उनकी ही पार्टी में पैदा हुए भूचाल पर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं व्यक्त करेंगे? देश की जनता मोदी के मुँह की तरफ़ ताक रही है! कुछ ज़्यादा ही आशंकित लोगों की जमात अगर उनके द्वारा किसी ‘राष्ट्र के नाम संदेश’ की प्रतीक्षा भी कर रही हो तो आश्चर्य नहीं व्यक्त किया जाना चाहिए। पटना में विपक्ष के जमावड़े को देश में उनकी अनुपस्थिति के दौरान तख्ता पलट की पहले चरण की कार्रवाई भी माना जा सकता है।
पटना की चुनौती का मुक़ाबला कैसे करेंगे पीएम?
- विचार
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- 26 Jun, 2023

15 विपक्षी दलों की एकजुटता के लिए पटना में हुई बैठक से क्या प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी बिल्कुल भी विचलित नहीं हैं? क्या इन विपक्षी दलों का साथ आना सामान्य राजनीतिक घटना है?
पंद्रह विपक्षी दलों की पटना में बैठक देश की राजनीति में पिछले पाँच दशकों के दौरान हुई सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण घटना है। यह बैठक राहुल गांधी की कन्याकुमारी से कश्मीर तक हुई चार हज़ार किलोमीटर लंबी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ और उसके तत्काल बाद उनके नेतृत्व में हुए कर्नाटक-फ़तह का सर्वदलीय अभिनंदन था। अद्भुत संयोग था कि जून 1974 में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में पटना से प्रारंभ हुई जिस ‘संपूर्ण क्रांति’ के प्रमुख सैनिकों में लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार शामिल थे वे ही लगभग पाँच दशकों के बाद की इस नई क्रांति की अगुवाई भी कर रहे थे।