देश के भविष्य से जुड़े हर छोटे-बड़े मुद्दे पर एक रहस्यमय और लंबी चुप्पी साध लेने में माहिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्या आपातकाल की वर्षगाँठ की पूर्व संध्या पर पटना में हुई विपक्षी दलों की बैठक और उसके बाद उनकी ही पार्टी में पैदा हुए भूचाल पर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं व्यक्त करेंगे? देश की जनता मोदी के मुँह की तरफ़ ताक रही है! कुछ ज़्यादा ही आशंकित लोगों की जमात अगर उनके द्वारा किसी ‘राष्ट्र के नाम संदेश’ की प्रतीक्षा भी कर रही हो तो आश्चर्य नहीं व्यक्त किया जाना चाहिए। पटना में विपक्ष के जमावड़े को देश में उनकी अनुपस्थिति के दौरान तख्ता पलट की पहले चरण की कार्रवाई भी माना जा सकता है।