कर्नाटक फ़तह के बाद विंध्य पार करते ही कांग्रेस इस नतीजे पर पहुँच गई कि नफ़रत का कोई बाज़ार अब कहीं मौजूद नहीं है, मोहब्बत की दुकानें ही चारों तरफ़ खुली हुई हैं। साथ ही यह भी कि भाजपा से मुक़ाबले के लिए अब ज़रूरत सिर्फ़ हिंदुत्व के उससे भी बड़े शो रूम्स खोलने की है। कर्नाटक में राहुल गांधी ने ‘नफ़रत के बाज़ार’ में ‘मोहब्बत की दुकान’ खोली थी। नफ़रत के बाज़ार का प्रतीक वहाँ तब सत्तारूढ़ भाजपा सरकार को बताया गया था। राहुल की दुकान वहाँ चल भी निकली। कांग्रेस ने भारी बहुमत से ऐसी जीत हासिल की कि भाजपा ऊपर से नीचे तक हिल गई और ‘आजतक’ संभल नहीं पाई। हिमाचल और पंजाब में हुई पराजयों में भी भाजपा ने कर्नाटक जैसा धक्का नहीं महसूस किया होगा !