मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 के ठीक पहले महिश्या समुदाय को आरक्षण देने का ऐलान कर राज्य के चुनावी गणित में जाति को महत्वपूर्ण समीकरण के रूप में इस्तेमाल करने की रणनीति अपनाई है। उनके तुरन्त बाद पश्चिम बंगाल बीजेपी ने महिश्या आरक्षण के मुद्दे को लपक लिया। इसके साथ ही पश्चिम बंगाल में भी दूसरे राज्यों की तरह जाति का कार्ड खेलने की शुरुआत हो गई, जिससे तमाम राजनीतिक दल अब तक बचते थे। वाम दलों ने पढ़े- लिखे, परिष्कृत 'भद्रलोक बंगाली' समाज के सामने किसानों मजदूरों की राजनीति की थी, उसी राज्य में अब जाति और धर्म की राजनीति हो रही है, जिसमें पक्ष-विपक्ष दोनों ही तरह के दल समान रूप से शामिल हैं।
बंगाल : ममता ने क्यों लिया ओबीसी आरक्षण का सहारा?
- पश्चिम बंगाल
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- 20 Mar, 2021

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 के ठीक पहले महिश्या समुदाय को आरक्षण देने का ऐलान कर राज्य के चुनावी गणित में जाति को महत्वपूर्ण समीकरण के रूप में इस्तेमाल करने की रणनीति अपनाई है।
तृणमूल कांग्रेस की नेता ने पार्टी का चुनाव घोषणापत्र जारी करते हुए बुधवार को ऐलान किया था कि महिश्या समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के तहत लाया जाएगा ताकि उन्हें भी उसका फ़ायदा मिल सके और उनका विकास हो सके।
इसके साथ ही तामुल, तिली और साहा समुदाय को भी ओबीसी में शामिल करने का फ़ैसला किया गया है। साहा समुदाय में भी कई उप-वर्ग हैं और वे सब अति पिछड़ा नहीं हैं। यह अभी पता नहीं चल सका है कि साहा समुदाय के सारे लोगों को ओबीसी आरक्षण मिलेगा या सिर्फ उन्हें जो बहुत ही पिछड़े हुए हैं।