दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र में इस बार राजनीतिक समीकरण बदले हुए नजर आ रहे हैं। अस्सी के दशक से लेकर इस सदी की शुरुआत तक इलाके में गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट (जीएनएलएफ) के नेता सुभाष घीसिंग की तूती बोलती थी। तब इन पहाड़ियों में उनकी इजाजत के बिना परिंदा तक पर नहीं मार सकता था।
बंगाल: दार्जिलिंग में बदले समीकरण, क्षेत्रीय मोर्चा ही है भारी
- पश्चिम बंगाल
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- 29 Mar, 2025

विमल गुरुंग के ममता के खेमे में जाने से बीजेपी को झटका तो लगा है। लेकिन उसकी निगाहें गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के दोनों गुटों की प्रतिद्वंद्विता पर टिकी हैं। इन चुनावों में विमल गुरुंग गुट ने जहां अपने चुनाव अभियान में अलग गोरखालैंड की पुरानी मांग को मुद्दा बनाने का फैसला किया है वहीं विनय तमांग गुट ने इस पर चुप्पी साध रखी है। उसने इलाके के विकास को मुद्दा बनाया है।
गोरखा जनमुक्ति मोर्चा दो फाड़
लेकिन वर्ष 2007 में जीएनएलएफ से अलग होकर गोरखा जनमुक्ति मोर्चा नामक नई पार्टी बनाने वाले विमल गुरुंग ने तेजी से घीसिंग की बादशाहत पर कब्जा कर लिया। मोर्चा उसके बाद खासकर लोकसभा चुनावों में बीजेपी का समर्थन करता रहा है। लेकिन वर्ष 2017 में अलग गोरखालैंड की मांग को लेकर हुए हिंसक आंदोलन और 104 दिनों के बंद के बाद गुरुंग के भूमिगत होने की वजह से मोर्चा दो फाड़ हो गया था।