दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र में इस बार राजनीतिक समीकरण बदले हुए नजर आ रहे हैं। अस्सी के दशक से लेकर इस सदी की शुरुआत तक इलाके में गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट (जीएनएलएफ) के नेता सुभाष घीसिंग की तूती बोलती थी। तब इन पहाड़ियों में उनकी इजाजत के बिना परिंदा तक पर नहीं मार सकता था।