पश्चिम बंगाल के पुलिस अफ़सर और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के क़रीबी समझे जाने वाले राजीव कुमार को सारदा मामले में अग्रिम ज़मानत मिल गई है। सीआईडी के अतिरिक्त निदेशक पर सारदा घोटाले में सबूत नष्ट करने का आरोप है। उन पर आरोप है कि कोलकाता पुलिस के प्रमुख रहते हुए उन्होंने सारदा घोटाले में राज्य सरकार के कई मंत्रियों के ख़िलाफ़ सबूत नष्ट कर दिए थे और जाँच में पक्षपात करते हुए ग़लत तरीक़े से उन्हें बचाया था।
सीबीआई उन्हें बीते कई दिनों से तलाश रही है, इस कोशिश में कोलकाता के अलीपुर स्थित उनके आवास पर छापा मारा गया था, सीबीआई ने महानगर के एक पाँच-सितारा होटल में भी उन्हें खोजने की कोशिश की थी। उसने पश्चिम बंगाल पुलिस के महानिदेशक से भी राजीव कुमार के बारे में जानकारी माँगी थी। इसके पहले सीबीआई ने राज्य सरकार से भी पूछा था कि कुमार कहाँ हैं। पुलिस महानिदेशक ने सीबीआई से कहा था कि राजीव कुमार 25 सितंबर तक छुट्टी पर हैं और क़ानूनी रास्ता तलाश रहे हैं।
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इसका राजनीतिक अर्थ है, क्योंकि कुमार मुख्यमंत्री के नज़दीकी अफ़सर समझे जाते हैं। लोकसभा चुनाव के पहले यह मुद्दा ज़ोरशोर से उठा था। राजीव कुमार उस समय कोलकाता के पुलिस कमिश्नर थे और सीबीआई जब उनके घर पहुँची थी तो ममता बनर्जी ने इसका ज़बरदस्त विरोध किया था और ख़ुद धरने पर बैठ गई थीं। कई दिनों के राजनीतिक ड्रामे के बाद सीबीआई को पीछे हटना पड़ा था और ममता बनर्जी ने अपना धरना उसके बाद ही ख़त्म किया था।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गुरुवार को गृह मंत्री अमित शाह से मुलाक़ात की तो राज्य बीजेपी ने इसे मुद्दा बना लिया और कहा था कि वह राजीव कुमार को बचाने के लिए ही उनसे मिलने गई हैं। बनर्जी ने कहा था कि राज्य सरकार की ज़रूरतों के लिए ही वह प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से मिलीं और इसका कोई राजनीतिक अर्थ न निकाला जाए। पर वह मोदी और शाह के प्रति जिस तरह कड़ा रवैया रखती रही हैं, उस वजह से उनकी मुलाक़ात को सीधे पूर्व कोलकाता पुलिस कमिश्नर की संभावित गिरफ़्तारी से जोड़ कर देखा गया था।
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