पश्चिम बंगाल के जिस नंदीग्राम विधानसभा सीट से ममता बनर्जी शुभेंदु अधिकारी से चुनाव हार गई थीं वहाँ इस्तेमाल की गई ईवीएम और कागजातों को सुरक्षित रखने का कलकत्ता हाई कोर्ट ने आदेश दिया है। ममता बनर्जी की याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने यह आदेश दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग और रिटर्निंग अफ़सर को भी नोटिस जारी किया जाना चाहिए।
ममता बनर्जी ने कलकत्ता हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर बीजेपी के शुभेंदु अधिकारी के नंदीग्राम से चुने जाने को चुनौती दी थी। उन्होंने याचिका में कहा था कि अधिकारी के निर्वाचन को निरस्त करने के लिए घूसखोरी समेत भ्रष्टाचार में लिप्त होने, नफ़रत और शत्रुता को बढ़ावा देने, धर्म के आधार पर वोट माँगने और बूथ पर कब्जा करने के आरोप लगाये थे। उन्होंने मतगणना की प्रक्रिया में गड़बड़ी और फ़ॉर्म 17 सी का पालन नहीं करने के आरोप भी लगाए थे जिसमें वोटों की गिनती का रिकॉर्ड रखा जाता है।
नंदीग्राम में मतगणना को लेकर विवाद भी हुआ था। मतगणना के दिन भी मीडिया में पहले तो ख़बर आई थी कि ममता बनर्जी चुनाव जीत गई हैं, लेकिन बाद में चुनाव आयोग ने आधिकारिक तौर पर कहा कि वहाँ से शुभेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी के ख़िलाफ़ जीत दर्ज की है। इस मामले में काफ़ी विवाद भी हुआ था। बाद में इस पूरी चुनाव प्रक्रिया और मतगणना को लेकर उन्होंने अदालत का रुख किया था। ममता बनर्जी आज की सुनवाई में ऑन लाइन अदालत में मौजूद रहीं।
बता दें कि इससे पहले नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र से शुभेंदु अधिकारी के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई से जस्टिस कौशिक चंद ने ख़ुद को अलग कर लिया था। इसके साथ ही उन्होंने याचिका दायर करने वाली ममता बनर्जी पर पाँच लाख रुपए का ज़ुर्माना लगा दिया था। न्यायधीश का कहना था कि याचिकाकर्ता ने उन्हें बदनाम करने की नीयत से आरोप लगाए थे।
तब जस्टिस कौशिक चंद ने कहा था कि उन्हें बदनाम करने के लिए उन पर आरोप लगाए गए, उससे विवाद हुआ, इसलिए वे इस मामले से हट रहे हैं।
उन्होंने कहा था, 'मेरे साथ एक राजनीतिक दल के गहरे संबंध हैं, लिहाज़ा मेरा इस मामले से हट जाना ही बेहतर है। इस आरोप पर फ़ैसला आम लोगों पर नहीं छोड़ा जा सकता है, इस पर निर्णय मुख्य न्यायाधीश करेंगे।'
उन्होंने इसके आगे कहा था कि 'इस देश में यह नामुमकिन है कि किसी आदमी का किसी राजनीतिक दल से कोई संबंध न हो। इसके अलावा जज की नियुक्ति के मामले को सार्वजनिक करना उचित नहीं है। मुख्यमंत्री से उम्मीद की जाती है कि वे गोपनीयता बनाए रखें।'
जस्टिस कौशिक चंद के उस सुनवाई से हटने से पहले ममता बनर्जी ने चिट्ठी लिख कर कलकत्ता हाई कोर्ट से आग्रह किया था कि शुभेंदु अधिकारी के निर्वाचन को रद्द करने की माँग करने वाली उनकी याचिका किसी और जज की बेंच को सौंपी जाए। ममता बनर्जी के वकील ने इस चिट्ठी में कहा था कि उनके मुवक्किल को आशंका है कि जज प्रतिवादी के प्रति झुकाव रख सकते हैं।
चिट्ठी में कहा गया था कि अप्रैल महीने में ही मुख्यमंत्री ने जस्टिस कौशिक चंद को कलकत्ता हाई कोर्ट का स्थायी जज नियुक्त करने का विरोध किया था। कलकत्ता हाई कोर्ट को लिखी चिट्ठी में कहा गया था, 'न्याय सिर्फ होना ही नहीं चाहिए, न्याय होते हुए दिखना भी चाहिए।'
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