सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ़) के अधिकार क्षेत्र को 15 किलोमीटर से बढ़ा कर 50 किलोमीटर करने का केंद्र सरकार का फ़ैसला तूल पकड़ रहा है और अब इसका व्यापक विरोध हो रहा है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस मुद्दे पर विरोध करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात करेंगी।
ममता बनर्जी सोमवार को ही दिल्ली पहुँच गईं, वे यहाँ गुरुवार तक रहेंगी। उन्होंने प्रधानमंत्री से मिलने का समय माँगा है। समझा जाता है कि वह नरेंद्र मोदी से मंगलवार या बुधवार को मुलाक़ात करेंगी। इस बैठक में बीएसएफ़ का कार्य क्षेत्र बढाने का केंद्र सरकार का निर्णय मुख्य मुद्दा होगा। ममता बनर्जी ने इस फ़ैसले का एलान होते समय ही इसका विरोध किया था, जाहिर है, वे प्रधानमंत्री से मिल कर इस पर कड़ा एतराज जताएंगी।
क्या है मामला?
केंद्र सरकार के अक्टूबर में जारी एक आदेश के मुताबिक़, केंद्रीय बलों के जवान देश के तीन राज्यों- असम, पंजाब और बंगाल में सीमा से सटे 50 किलोमीटर के अंदर तक के इलाक़े में गिरफ़्तारी, तलाशी अभियान और जब्त करने की कार्रवाई कर सकेंगे।
इस फ़ैसले के तुरन्त बाद पश्चिम बंगाल के परिवहन मंत्री और टीएमसी नेता फ़िरहाद हाक़िम ने कहा था कि क़ानून व्यवस्था राज्य सरकार का विषय है, लेकिन केंद्र सरकार केंद्रीय एजेंसियों के जरिये इसमें दख़ल दे रही है।
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राज्यों का विरोध
पंजाब के गृह मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने भी इसे संघीय ढांचे पर अतिक्रमण बताया था और कहा था कि इससे पंजाब में डर का माहौल पैदा होगा।
लेकिन पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा था कि बीएसएफ़ का दायरा और ताक़त बढ़ने से हम और मज़बूत होंगे। उन्होंने कहा था कि केंद्रीय सुरक्षा बलों को राजनीति में न घसीटा जाए।
पिछले हफ़्ते ही पंजाब विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित कर कहा है कि यह राज्य का अपमान है और इसे वापस लिया जाए। यह प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास हुआ था। इस दौरान बीजेपी के दोनों विधायक सदन से ग़ैर हाजिर रहे।
पश्चिम बंगाल के उत्तरी इलाक़े का एक बड़ा हिस्सा बांग्लादेश की सीमा से सटा हुआ है। उत्तर दिनाजपुर, दक्षिण दिनाजपुर, माल्दा, मुर्शिदाबाद और रायगंज ज़िले सीमा से सटे हुए हैं। इन इलाक़ों में तैनात बीएसएफ के जवानों पर ज़्यादती के आरोप लगते रहे हैं।
क्या करे बीजेपी?
यह संयोग नहीं है कि ये वे इलाक़े हैं, जहाँ बीजेपी का आधार बढ़ा है। बीजेपी सीमा से सटे इलाक़ों में गोतस्करी, मानव तस्करी और कई तरह के अवैध कारोबारों की अनेदखी करने के आरोप राज्य सरकार पर पहले से ही लगाती रही है। अब जबकि उसका आधार बढ़ा है, बीजेपी की केंद्र सरकार ने यह आदेश जारी कर दिया है।
पर्यवेक्षकों का कहना है कि इससे बीजेपी के स्थानीय नेताओं को राजनीतिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि बीएसएफ़ के ख़िलाफ़ ज़्यादती करने के आरोप और इससे लोगों की नाराज़गी की बात पुरानी है।
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