नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को 'पराक्रम दिवस' के रूप में मनाने का एलान कर बीजेपी ने पश्चिम बंगाल के इस ऑइकॉन और बंगाली अस्मिता के प्रतीक को हथियाने की एक और कोशिश की है। नेताजी की 125वीं जंयती पर साल भर चलने वाले विशेष कार्यक्रम का एलान भी इसी मुहिम का एक हिस्सा है। राज्य विधानसभा चुनाव के कुछ महीने पहले बंगाल के गौरव पर कब्जा करने की बीजेपी की इस कोशिश से कई सवाल खड़े होते हैं।
पराक्रम दिवस : बीजेपी के हिन्दुत्व में फिट बैठते हैं नेताजी?
- पश्चिम बंगाल
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- 23 Jan, 2021

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के पहले नेताजी जन्मदिन को 'पराक्रम दिवस' के रूप में मनाने का एलान कर बीजेपी ने उन्हें अपनाने और उनकी विरासत पर कब्जा करने की कोशिश की है। पर सवाल यह है कि क्या नेताजी के सिद्धांत बीजेपी के उग्र हिन्दुत्व में कहीं फिट बैठते हैं? सवाल यह भी है कि क्या बीजेपी सावरकर और श्यामा प्रसाद मुखर्जी के कृत्यों के लिए बंगाल और देश से माफ़ी माँगेगी?
यह तो पूछा ही जाना चाहिए कि क्या उग्र हिन्दुत्व की राजनीति करने वाली बीजेपी की नीतियाँ नेताजी की नीतियों से कहीं मेल खाती हैं? क्या हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए काम कर रहे राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के दर्शन में सुभाष बाबू कहीं फिट बैठते हैं?