विधानसभा चुनाव से पहले ममता सरकार पर हमला बोल रहे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आरोपों को लेकर राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को पलटवार किया है। ममता ने प्रेस कॉन्फ्रेन्स में कहा कि अमित शाह जानबूझकर पश्चिम बंगाल की ख़राब छवि पेश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल विकास के सूचकांकों में दूसरे राज्यों से आगे है।
हाल ही में बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हुए हमले के बाद बीजेपी ने ममता सरकार पर हमले तेज़ किए हैं। बीजेपी का कहना है कि राज्य में लोकतंत्र पूरी तरह ख़त्म हो गया है और ममता सरकार में बीजेपी के कार्यकर्ताओं की लगातार हत्या हो रही है। बीजेपी ने अपने कार्यकर्ताओं की हत्या को लेकर राज्य में जबरदस्त आंदोलन छेड़ा हुआ है।
ममता ने राजनीतिक हत्याओं पर बीजेपी को जवाब देते हुए कहा उनके शासनकाल में राज्य में राजनीतिक हत्याएं कम हुई हैं। उन्होंने कहा कि कोई आत्महत्या भी होती है तो बीजेपी उसे जानबूझकर राजनीतिक हत्या के रंग में रंग देती है और यहां तक कि पति-पत्नी के झगड़े को भी राजनीतिक रंग दे दिया जाता है।
ममता ने तमाम आंकड़ों को गिनाते हुए कहा कि कृषि क्षेत्र में भारत की विकास दर 4.05 जबकि बंगाल में यह 4.74 फीसदी है। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘बंगाल ग़रीबी हटाने में नंबर एक है और यहां पिछले 10 साल से दंगे नहीं हुए हैं। हमने बंगाल में 1 करोड़ से ज़्यादा नौकरियां दी हैं।’
‘सुरक्षित है बंगाल’
ममता ने कहा कि बंगाल को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को तथ्यों के आधार पर बात रखनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘राज्य में नक्सली घटनाओं में कमी आई है और बड़ी संख्या में माओवादियों ने सरेंडर किया है। अंफन के दौरान राज्य सरकार ने दो लाख से ज़्यादा लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया है। केंद्र सरकार सिर्फ़ राज्य की बुराई करती है। कोलकाता और बंगाल दूसरे राज्यों से ज़्यादा सुरक्षित है।’
मुख्यमंत्री ने कहा कि टीएमसी की सरकार ने 14 से ज़्यादा मेडिकल कॉलेज बनाए हैं, 79 पैरामेडिकल कॉलेज बनाए हैं, अस्पतालों में मां-बच्चों के लिए सुविधाएं बढ़ाई गई हैं लेकिन केंद्र सरकार के मंत्री इस बारे में नहीं बताते। टीएमसी प्रमुख ने कहा कि राज्य में क़ानून व्यवस्था की स्थिति पहले से बेहतर है।
कई नेताओं ने छोड़ी टीएमसी
ममता इन दिनों अपनी पार्टी में हो रही बग़ावत से परेशान हैं। कुछ ही दिन पहले पूर्व कैबिनेट मंत्री शुभेंदु अधिकारी सहित पार्टी के कई विधायकों ने अमित शाह की मौजूदगी में बीजेपी का दामन थाम लिया। शुभेंदु के अलावा शीलभद्र दत्ता, बनश्री मैती, बिस्वजीत कुंडू, सैकत पंजा, दीपाली बिस्वास और शुक्रा मुंडा टीएमसी को अलविदा कहकर बीजेपी में शामिल हुए थे।
बीजेपी अगले साल अप्रैल-मई में होने जा रहे विधानसभा चुनाव को लेकर जोरदार चुनावी माहौल बनाने में जुटी हुई है। 294 सीटों वाली बंगाल विधानसभा में पार्टी ने 200 से ज़्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है।
राज्यपाल ने बोला था हमला
बीजेपी-टीएमसी की इस लड़ाई के बीच कुछ दिन पहले राज्यपाल जगदीप धनखड़ भी सामने आए थे और उन्होंने कहा था कि ममता बनर्जी संवैधानिक बाध्यता के अधीन हैं और उन्हें संविधान के रास्ते पर चलना ही होगा। धनखड़ ने कहा था कि राज्य में क़ानून व्यवस्था की स्थिति बेहद ख़राब हो चुकी है और वे कई बार मुख्यमंत्री, प्रशासन और पुलिस के सामने इसे लेकर चिंता व्यक्त कर चुके हैं। नड्डा के काफ़िले पर हमले को लेकर उन्होंने कहा था कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी और इसने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को शर्मसार किया है।
पश्चिम बंगाल के चुनावी हालात पर देखिए चर्चा-
सरकार बनाने का लक्ष्य
बीजेपी किसी भी सूरत में बंगाल में अपनी सरकार बनाना चाहती है और पार्टी वहां किसी भी तरह अपना परचम लहराना चाहती है। बंगाल में सरकार बनाने के लिए आरएसएस भी लगातार सक्रिय है। हाल ही में बीजेपी ने कई नेताओं को वहां प्रभारी बनाकर भेजा है। राज्य में बीजेपी और टीएमसी के कार्यकर्ताओं के बीच खूनी झड़पें होना आम बात है, जिसमें दोनों ओर के कार्यकर्ताओं को अपनी जान गंवानी पड़ी है। विधानसभा से लेकर पंचायत और लोकसभा चुनाव तक दोनों दलों के कार्यकर्ता बुरी तरह भिड़ते रहे हैं। ऐसे में विधानसभा चुनाव में दोनों दलों के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिलेगी, यह तय है।
ममता की भी तैयारी पूरी
पश्चिम बंगाल की हुक़ूमत में आने के लिए बेताब बीजेपी से लड़ने के लिए ममता बनर्जी को भी विपक्षी नेताओं के साथ की सख़्त ज़रूरत है। ऐसे में ममता बनर्जी विपक्ष के नेताओं को साथ लेकर बंगाल में बड़ी रैली करने की तैयारी कर रही हैं।
कोलकाता में होगी रैली
अब इस बात की चर्चा है कि ममता बनर्जी अगले महीने कोलकाता में विपक्षी नेताओं की एक रैली का आयोजन करने जा रही हैं और इसमें वह केजरीवाल, शरद पवार, डीएमके प्रमुख स्टालिन को बुला रही हैं। बनर्जी ने रविवार को पवार को फ़ोन किया और उनसे इस रैली में आने का आग्रह किया। इस दौरान केंद्र की ओर से राज्य सरकार के काम में दिए जा रहे कथित दख़ल और कृषि क़ानूनों के विरोध में एकजुट होने को लेकर भी बात हुई है। बताया जाता है कि पवार ने इसके लिए अपनी रजामंदी दे दी है।
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