बीरभूम हिंसा मामले में सीबीआई ने एफ़आईआर में 21 संदिग्धों को नामजद किया है। इसने कहा है कि हिंसा के दौरान घरों में आगजनी लोगों की हत्या करने के इरादे से की गई थी। एक दिन पहले यानी शुक्रवार को ही कोलकाता हाई कोर्ट ने अपने एक फ़ैसले में कहा था कि बीरभूम जिले में हुई हिंसा के मामले की जांच अब सीबीआई करेगी। हाईकोर्ट ने इस मामले में सीबीआई से 1 हफ्ते के भीतर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है।
दरअसल, सोमवार शाम रामपुरहाट में टीएमसी से जुड़े एक उप प्रधान भादू शेख की हत्या के कुछ घंटे बाद बोगटुई गांव में आठ घरों पर हमला किया गया और आग लगा दी गई थी। इसमें महिलाओं और बच्चों सहित आठ लोगों की मौत हो गई। इस हिंसा ने पूरे देश को झकझोर दिया। हाई कोर्ट ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया है।
हाई कोर्ट से जाँच करने के निर्देश मिलने के बाद सीबीआई ने कार्रवाई शुरू की। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार अपनी प्राथमिकी में सीबीआई ने कहा है कि प्रारंभिक जाँच से पता चलता है कि स्थानीय पंचायत के टीएमसी उप-प्रधान भादू शेख की हत्या का बदला लेने के लिए 'प्रतिशोध' में हिंसा की गई थी। एक दिन पहले अज्ञात हमलावरों ने उन पर कथित तौर पर देसी बम से हमला किया था।
इसके अलावा प्राथमिकी में कहा गया है कि 70-80 लोगों की एक अनियंत्रित भीड़ ने पीड़ितों के घरों में तोड़फोड़ की और उन्हें अंदर ही मारने के इरादे से आग लगा दी।
बता दें कि हाई कोर्ट से निर्देश मिलने के बाद सीबीआई की टीम रामपुरहाट थाने का दौरा कर मामले से जुड़ी विभिन्न फाइलें व दस्तावेज लेकर हिंसा स्थल का दौरा कर चुकी है।
सीबीआई की केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला यानी सीएफएसएल की एक टीम ने फोरेंसिक जांच के लिए नमूने एकत्र किए।
इस घटना को लेकर पश्चिम बंगाल से लेकर दिल्ली तक जबरदस्त राजनीतिक प्रतिक्रिया हुई है और बीजेपी और कांग्रेस ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है।
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