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बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा के सारे केस दर्ज हों: हाई कोर्ट

पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा के मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट ने शुक्रवार को एक अहम आदेश दिया है। हाई कोर्ट ने राज्य की पुलिस को आदेश दिया है कि वह चुनाव के बाद हुई हिंसा के मामले के सभी पीड़ितों के केस दर्ज करे। ग़ौरतलब है कि बंगाल में चुनाव नतीजों के बाद कई जगहों पर हिंसा हुई थी और बीजेपी ने सत्तारूढ़ टीएमसी पर आरोप लगाया था कि उसके कार्यकर्ताओं ने गुंडागर्दी की हदें पार कर दी हैं। 

मामले की सुनवाई कर रही हाई कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने ममता सरकार से कहा है कि वह हिंसा में पीड़ित लोगों का इलाज सुनिश्चित करे और सभी को राशन भी उपलब्ध कराए चाहे पीड़ितों के पास राशन कार्ड हों या नहीं। 

हाई कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव को आदेश दिया कि वे चुनाव के बाद हुई हिंसा मामलों से जुड़े सभी कागजातों को सुरक्षित रखें। इसके अलावा हिंसा में मारे गए बीजेपी नेता अभिजीत सरकार का फिर से पोस्टमार्टम कराने के निर्देश भी हाई कोर्ट ने दिए। 

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अदालत ने ये निर्देश राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की अंतरिम रिपोर्ट पर दिए हैं। 29 जून को आयोग की टीम पर भी जादवपुर में हमला होने की ख़बर आई थी। यह टीम चुनाव के बाद हुई हिंसा के मामलों की जांच के लिए वहां गई थी। 

डीएम, एसपी को नोटिस

बेंच ने जादवपुर जिले के डीएम और पुलिस अधीक्षक को कारण बताओ नोटिस भेजा है। अदालत ने पूछा है कि वे बताएं कि आख़िर क्यों न उनके ख़िलाफ़ अदालत की अवमानना की कार्रवाई शुरू न की जाए। जादवपुर जिले में हिंसा के पीड़ितों ने आरोप लगाया था कि उनकी शिकायतों को दर्ज नहीं किया गया। 

हिंसा का लंबा दौर

पश्चिम बंगाल में बीजेपी और टीएमसी के कार्यकर्ताओं के बीच खूनी झड़पें होना आम बात है, जिसमें दोनों ओर के कार्यकर्ताओं को अपनी जान गंवानी पड़ी है। विधानसभा से लेकर पंचायत और लोकसभा चुनाव तक दोनों दलों के कार्यकर्ता बुरी तरह भिड़ते रहे हैं। विधानसभा चुनाव में सरकार बनाने को आतुर बीजेपी को बड़ा धक्का लगा है क्योंकि टीएमसी ने चुनाव में जीत दर्ज की है। 

उधर, शुक्रवार को राज्यपाल जगदीप धनखड़ के अभिभाषण के दौरान विधानसभा में हंगामा हुआ है। 

Bengal Post poll violence HC ask to register all cases - Satya Hindi

ममता-धनखड़ में जंग जारी

राज्यपाल जगदीप धनखड़ और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीज जंग जारी है। ममता ने कुछ दिन पहले उन्हें भ्रष्टाचारी कहा था। ममता ने कहा था कि राज्यपाल का नाम 1996 के जैन हवाला मामले में आया था। जैन हवाला मामले में एक डायरी मिली थी जिसमें कुछ राजनेताओं के नाम थे और उन पर आरोप थे कि उन्होंने रिश्वत ली है। 

ममता ने कहा था, “जैन हवाला मामले में नाम आने के बाद राज्यपाल ने अदालत जाकर इस मामले से अपना नाम हटा लिया। लेकिन अभी भी इस संबंध में दायर जनहित याचिका लंबित है। मुझे दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि वह एक भ्रष्टाचारी शख़्स हैं।” 

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ममता के इन आरोपों पर धनखड़ ने कहा था कि वह मुख्यमंत्री के द्वारा लगाए गए आरोपों से हैरान हैं। धनखड़ ने पत्रकारों से कहा था कि उनके ख़िलाफ़ चार्ज शीट दायर नहीं हुई थी और ऐसे कोई दस्तावेज़ भी नहीं हैं। 

राज्य में विधानसभा चुनाव से एक साल पहले से ही ममता बनर्जी और राज्यपाल के बीच वाकयुद्ध तेज़ हो गया था, जो चुनाव होने तक और नतीजे आने  के बाद और तेज़ हो गया है। इसके जल्द थमने के आसार भी नहीं दिखाई देते। चुनाव के बाद बंगाल में हुई हिंसा को लेकर भी राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच तकरार हो चुकी है। 

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क़मर वहीद नक़वी
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