loader

बंगाल भाजपा के विज्ञापनः सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर विचार करने से क्यों मना किया

सुप्रीम कोर्ट ने भी माना कि बंगाल में भाजपा के विज्ञापन आपत्तिजनक थे। लाइव लॉ के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने 27 मई को कहा कि पहली ही नजर में हम बता रहे हैं कि भाजपा के विज्ञापन अपमानजनक थे। इसलिए हम कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते। बंगाल भाजपा ने कुछ विज्ञापन टीएमसी के खिलाफ छपवाए थे। यह मामला उसी से संबंधित है। 

लाइव लॉ के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस केवी विश्वनाथन की वैकेशन बेंच ने कहा कि “…आप कह सकते हैं कि आप सर्वश्रेष्ठ हैं…लेकिन…हम आगे कटुता को बढ़ावा देने के लिए अपना हाथ नहीं बढ़ाना चाहते…यह मतदाता के हित में नहीं है। बेंच ने कहा- ''... मुद्दे को तूल मत दो...।'' इसके बाद भाजपा के वकील ने याचिका वापस ले ली। 

ताजा ख़बरें

भाजपा के आपत्तिजनक विज्ञापनों को लेकर टीएमसी ने 4 मई को ही केंद्रीय चुनाव आयोग से शिकायत की थी। टीएमसी ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर बताया कि भाजपा ने बंगाल के कुछ क्षेत्रीय समाचार पत्रों में विज्ञापन दिया है, जो "अपमानजनक, झूठे थे और मतदाताओं से धार्मिक आधार पर वोट करने की अपील करते थे।"

चुनाव आयोग कानों में तेल डाले बैठा रहा। जिस तरह उसने पीएम मोदी के साम्प्रदायिक भाषणों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। उसी तरह इस मामले में भी किया गया। चुनाव आयोग ने जब देखा कि मामला अदालत में चला गया है और कोर्ट एक्शन के लिए कह सकता है तो आयोग शनिवार 18 मई को सक्रिय हुआ। आयोग ने उसी दिन पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार को उनकी पार्टी द्वारा कथित तौर पर टीएमसी को निशाना बनाने वाले विज्ञापनों पर दो अलग-अलग कारण बताओ नोटिस जारी किए। आयोग ने बीजेपी नेता को अगले दिन शाम 5 बजे तक अपना जवाब देने को कहा था।

कलकत्ता हाईकोर्ट का रुख

कलकत्ता हाईकोर्ट ने 20 मई को अपने आदेश में कहा था कि भाजपा को अगले आदेश तक टीएमसी के खिलाफ किसी भी प्रकार के अपमानजनक विज्ञापन प्रकाशित करने से रोका जाता है। हाईकोर्ट ने पार्टी पर व्यक्तिगत हमले करने वाले भाजपा के विज्ञापनों के खिलाफ टीएमसी द्वारा दायर शिकायतों को सुनने में 'घोर विफल' होने के लिए भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) को भी फटकार लगाई है। अदालत ने कहा-

चुनाव आयोग तय समय में टीएमसी की शिकायतों को सुनने में पूरी तरह विफल रही है। यह अदालत आश्चर्यचकित है कि चुनाव खत्म होने के बाद शिकायतों का समाधान तय समय में करने में भारत का चुनाव आयोग विफल हुआ है। यह अदालत निषेधाज्ञा आदेश (स्टे) पारित करने के लिए बाध्य है।


-जस्टिस सब्यसाची भट्टाचार्य, कलकत्ता हाईकोर्ट, 20 मई 2024 सोर्सः बार एंड बेंच

कोर्ट ने कहा कि 'साइलेंस पीरियड' (चुनाव से एक दिन पहले और मतदान के दिन) के दौरान बीजेपी के विज्ञापन आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) और टीएमसी के अधिकारों और नागरिकों के निष्पक्ष चुनाव के अधिकार का भी उल्लंघन थे। अदालत ने आदेश जारी करते हुए कहा-

टीएमसी के खिलाफ लगाए गए आरोप और प्रकाशन पूरी तरह से अपमानजनक हैं और निश्चित रूप से इसका उद्देश्य प्रतिद्वंद्वियों का अपमान करना और व्यक्तिगत हमले करना है। इसलिए, उक्त विज्ञापन सीधे तौर पर एमसीसी के विरोधाभासी होने के साथ-साथ याचिकाकर्ता और भारत के सभी नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन है। स्वतंत्र, निष्पक्ष और बेदाग चुनाव प्रक्रिया के लिए, भाजपा को अगले आदेश तक ऐसे विज्ञापन प्रकाशित करने से रोका जाना चाहिए।


-जस्टिस सब्यसाची भट्टाचार्य, कलकत्ता हाईकोर्ट, 20 मई 2024 सोर्सः बार एंड बेंच

कहां गई आदर्श चुनाव आचार संहिता

लोकसभा चुनाव 2024 चुनाव आचार संहिता की धज्जियां उड़ाने और माहौल को साम्प्रदायिक बनाने के लिए याद किया जाएगा। हाईकोर्ट में अपनी दलीलों में टीएमसी  ने कहा कि एक विज्ञापन पर तो लिखा था "सनातन विरोधी तृणमूल।" उसने कहा कि यह पूरी तरह से आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) के विपरीत था। जो समाचार लेखों की आड़ में भी जाति, धर्म आदि के आधार पर विज्ञापन देने पर रोक लगाता है। टीएमसी ने अदालत को यह भी बताया कि इसकी शिकायत चुनाव आयोग में की गई लेकिन वहां से कोई कार्रवाई नहीं हुई।

चुनाव आयोग ने 28 मार्च को चुनाव आचार संहिता जारी की थी। जिसमें कहा गया था कि "अन्य राजनीतिक दलों की आलोचना, जब की जाएगी, उनकी नीतियों और कार्यक्रम, पिछले रिकॉर्ड और काम तक ही सीमित होगी", और "अन्य दलों या उनके कार्यकर्ताओं की आलोचना असत्यापित आधार पर नहीं की जाएगी" आरोप या विकृति से बचा जाएगा।''

आचार संहिता में यह भी कहा गया है कि केंद्र या राज्य में सत्ता में रहने वाली पार्टी यह सुनिश्चित करेगी कि किसी भी शिकायत के लिए कोई कारण न दिया जाए कि उसने अपने चुनाव अभियान के लिए अपनी आधिकारिक स्थिति का इस्तेमाल किया है। खासकर जनता की कीमत पर विज्ञापन जारी करने के लिए सत्ताधारी पार्टी की जीत की संभावना बढ़ाने के लिए "समाचार पत्रों और अन्य मीडिया में सरकारी पैसे से पक्षपातपूर्ण कवरेज पर रोक रहेगी। उपलब्धियों के प्रचार के लिए चुनाव अवधि के दौरान मास मीडिया का दुरुपयोग नहीं किया जाए।"

पश्चिम बंगाल से और खबरें

लोकसभा चुनाव 2024 में केंद्रीय चुनाव आयोग की खासी किरकिरी हो रही है। वो पीएम मोदी सहित तमाम भाजपा नेताओं के साम्प्रदायिक भाषणों को रोक नहीं पाया। देश-विदेश के मीडिया ने इस बारे में खुलकर रिपोर्ट छापी। ईवीएम को लेकर भी चुनाव आयोग विवादों में घिरा हुआ है। आयोग इस जिद पर पड़ा है कि ईवीएम बिल्कुल सही है और गड़बड़ी नहीं हो सकती। जबकि जनता ईवीएम को लेकर प्रदर्शन कर रही है, तमाम चिन्ताएं जता रही है। यूपी के एटा में एक युवक को ईवीएम के जरिए भाजपा को 8 वोट फर्जी तरीके से दिलाने का वीडियो वायरल हुआ। वो युवक एक भाजपा नेता का बेटा है। मोदी के विवादित भाषण बुलंदियों पर पहुंचे लेकिन चुनाव आयोग मूक दर्शक बना रहा। उसने कुछ आदेश भी जारी किए जो कांग्रेस और भाजपा के अध्यक्षों को जारी किए। उसने निर्देश दिए कि राजनीतिक दल अपने स्टार प्रचारकों से साम्प्रदायिक भाषणों पर रोक लगवाएं। लेकिन मोदी ने उसके बाद बिहार में लालटेन के साथ मुजरा करने जैसी बात कही, जो मतदाताओं का घोर अपमान है। चुनाव आयोग आज तक और अब तक खामोश है। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

पश्चिम बंगाल से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें