कोलकाता में रहने वाले ओम प्रकाश को पिछले हफ़्ते बुखार और खांसी की परेशानी हुई थी और इसके बाद उन्हें राज्य सरकार द्वारा चलाए जाने वाले एमआर बांगुर अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
एनडीटीवी के मुताबिक़, ओम प्रकाश के बेटे राज गुप्ता ने बताया, ‘बांगुर अस्पताल के लोगों ने हमसे कहा कि मेरे पिता कोरोना पॉजिटिव हैं और परिवार के लोगों से होम क्वरेंटीन में रहने के लिए कहा। चार दिन बाद अस्पताल की ओर से कॉल आया कि पिता का टेस्ट नेगेटिव आया है और आप उन्हें घर ले जा सकते हैं।’
बेटे ने आगे कहा, ‘अस्पताल की ओर से दिए गए डिस्चार्ज सर्टिफ़िकेट में साफ लिखा है कि मेरे पिता का कोरोना टेस्ट नेगेटिव आया था। हम उन्हें घर ले आए थे लेकिन अगले दिन हमें स्वास्थ्य विभाग की ओर से बताया गया कि आपके पिता का फिर से टेस्ट पॉजिटिव आया है और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने के लिए एंबुलेंस आ रही है।’
27 अप्रैल को एंबुलेंस आयी और ओम प्रकाश को ले गयी और 12 घंटे के अंदर उनकी मौत हो गयी। राज ने अपने पिता का अस्पताल जाते वक्त मोबाइल से वीडियो भी बनाया था। राज ने कहा कि अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद वह अपने पिता को बेहद मुश्किल से घर लाया था क्योंकि लॉकडाउन के कारण कार, टैक्सी वगैरह नहीं चल रही थीं। ओम प्रकाश लोहे का कारोबार करते थे।
राज ने कहा, ‘यह लापरवाही का मामला है और मेरे पिता की हत्या की गई है। हम अस्पताल और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से जवाब चाहते हैं।’ अब ओम प्रकाश के परिवार के सभी सदस्यों का कोरोना टेस्ट करवाया जाएगा।
स्वास्थ्य विभाग के शीर्ष अफ़सर ने एनडीटीवी को बताया कि एक ही लैब से 16 से 18 घंटे के अंदर कोरोना टेस्ट के दो अलग-अलग नतीजे आये। पहला नतीजा नेगेटिव आया और दूसरा पॉजिटिव। उन्होंने कहा कि ऐसा पहले भी हुआ है।
यह स्थिति बेहद ख़तरनाक है क्योंकि एक ही लैब में कुछ घंटों के अंतराल में एक ही व्यक्ति के टेस्ट के अलग-अलग नतीजे आना बेहद गंभीर मामला है। देश में टेस्टिंग को लेकर पहले से ही सवाल खड़े हो रहे हैं और उस पर इस तरह की घटनाएं आम आदमी के मन में ख़ौफ़ पैदा करती हैं।
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