“कुछ ज़्यादा ही फ़िलिस्तीनी मारे जा चुके हैं।” अमेरिका के विदेश मंत्री एंथनी ब्लिंकेन ने ग़ाज़ा पर कोई एक महीने की इज़राइली बमबारी के बाद अपनी चिंता जाहिर की। दुनिया के सामने उन्होंने अपना चेहरे का मानवीय हिस्सा तब घुमाया जब इज़राइली हमले में मारे गए फ़िलिस्तीनियों की तादाद 11000 पार कर गई थी। इनमें तक़रीबन आधे बच्चे थे। ब्लिंकेन के मुताबिक़ शायद यह कुछ ज़्यादा हो गया। तो उनके लिए मारे जाने वाले फ़िलिस्तीनियों की एक स्वीकार्य संख्या भी रही होगी जहाँ आकर इज़राइल को रुक जाना था। लेकिन इज़राइल के लिए ऐसी कोई हद नहीं है। उसे ब्लिंकेन की इस चिंता की भी कोई फ़िक्र नहीं है। वह ऐसा बिगड़ा बच्चा है जिसे मालूम है कि उसका सरपरस्त अमेरिका उसकी हर ज़िद मानने को बाध्य है।
फ़िलिस्तीनियों के कत्लेआम की छूट अमेरिका ने दे रखी है?
- वक़्त-बेवक़्त
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- 13 Nov, 2023

फिलिस्तीन की नस्लकुशी में अमेरिका को क्यों न शामिल माना जाए...ये सवाल पश्चिम के तमाम साम्राज्यवादी स्वनामधन्य चिन्तक नहीं कर रहे हैं। लेकिन यह सवाल भारत का ही कोई चिन्तक कर सकता है। सत्य हिन्दी के स्तंभकार अपूर्वानंद को पढ़िए और जानिए कि उन्होंने फिलिस्तीनियों की नस्लकुशी के लिए अमेरिका को क्यों जिम्मेदार ठहराया है?