2023 के शिक्षक दिवस के रोज़ इस बात को याद कर लेना ज़रूरी है कि भारत में अध्यापन का पेशा आज़ादी के बाद के 75 सालों में अभी सबसे अधिक संकट में है। भारत के गुरु की महिमा का गान करने की परिपाटी का पालन करते  वक़्त यह ध्यान रखना चाहिए कि उसे उसका धर्म निर्वाह करने की स्वतंत्रता नहीं रह गई है। अब उससे यह कहा जा रहा है कि वह भारत की आज की राजकीय विचारधारा का प्रवक्ता होने भर को स्वतंत्र है, उसका अपना कोई विचार नहीं हो सकता।