अमेरिका हो या यूरोप, हिंसा से कोई देश मुक्त नहीं, घृणा से भी नहीं। वह घृणा धर्म आधारित भी होती है, नस्ली भी और दूसरी क़िस्म की। कई बार हमें हिंसा का कारण भी नहीं मालूम होता। लेकिन उन देशों में हिंसा की हर ऐसी घटना के बाद जिनसे ये कारण जुड़े हुए हैं, देश के नेता, शासक देश को संबोधित करते हैं, उस हिंसा को राजकीय तौर पर अस्वीकार करते हैं।
जो समाज अपराध को अपराध न कहे, उसका पतन निश्चित है!
- वक़्त-बेवक़्त
- |
- |
- 28 Aug, 2023

मुजफ्फरनगर स्कूल की घटना पर जिस तरह से पर्दा डालने और रफा-दफा करने की कोशिश हो रही है, वो भारतीय समाज के पतन की जीती जागती तस्वीर है। लेकिन जाने-माने चिंतक और स्तंभकार अपूर्वानंद ने लिखा है कि वह समाज कितना बीमार और कमज़ोर है जो अपराध को अपराध कहने से इनकार करता है और जिसमें न्याय का न तो बोध बचा है, न उसकी इच्छा। एक जरूरी लेख, जरूर पढ़ेंः