‘हिंदी’ प्रदेशों के लोग फिर से तमिलनाडु से आहत हो गए हैं। उन्हें इस बार पानी पूरी बेचनेवाला कह दिया कह गया है, ऐसा आरोप है। पानी पूरी खाते हुए तस्वीरें खिंचवाई जा रही हैं। कोई तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री को सलाह दे रहा है कि पानी पूरी बेचना कोई शर्म की बात नहीं है, वे उनका अपमान न करें।
तमिलनाडु के मंत्री के बयान को हिंदीवाले ध्यान से सुनें
- वक़्त-बेवक़्त
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- 16 May, 2022

तमिलनाडु के मंत्री ने यह नहीं कहा था कि हिंदी बोलनेवाले पानी पूरी बेचते हैं। उन्होंने पानी पूरी बेचने को हीन कार्य भी नहीं बतलाया था। उन्होंने सिर्फ़ इस झूठ पर उँगली रखी थी कि हिंदी में रोज़गार है।
पानी पूरी को ‘हिंदी’ इलाक़ों में कुछ जगहों पर गोलगप्पा, कुछ जगह फुचका भी कहते हैं। लेकिन देखा कि अब हर इलाक़े के लोग पानी पूरी शब्द का ही इस्तेमाल कर रहे हैं।
यह जो एक ही वस्तु के लिए इतने नाम हैं, इससे मालूम होता है कि हिंदी एक हिंदी नहीं है। जैसे हम जिसे कद्दू कहते हैं, वह दिल्ली में घीया है और कद्दू कहने से कुम्हड़ा थमा दिया जाता है जिसे हम कुछ जगहों पर कोंहड़ा कहते हैं। अभी भी उसे सीताफल कहने की इच्छा नहीं होती है। लेकिन बिहार के ही सब्ज़ी बेचनेवाले नहीं समझेंगे अगर हम नेनुआ माँगें तोरी की जगह।