इस वक़्त जब भारत के लोग अभिनन्दन शब्द का नया सरकारी अर्थ समझने की कोशिश कर रहे हैं और पाकिस्तान के लोग इस पर विचार कर रहे हैं कि पकड़े गए हिन्दुस्तानी फ़ौज़ी को छोड़ने की ‘उदारता’ बड़ी है या कश्मीर पर क़ब्जे की एक नातमाम जंग, सीमा के इस पार और उस पार से कुछ घरों से विलाप उठ रहा है। लेकिन यह विलाप राष्ट्रीय शोक का विषय नहीं बन पाता क्योंकि वह युद्ध में गोलियाँ चलाते लोगों की ‘शहादत’ नहीं है।
क़त्ल का सिलसिला जारी, लेकिन इस दौर में मरने वाले शहीद नहीं कहे जाएँगे
- वक़्त-बेवक़्त
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- 7 Mar, 2019

सीमा के इस और उस पार से कुछ घरों से विलाप उठ रहा है। लेकिन यह विलाप राष्ट्रीय शोक का विषय नहीं बन पाता क्योंकि वह युद्ध में गोलियाँ चलाते लोगों की ‘शहादत’ नहीं है।