राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने हाल में कहा कि लोगों को जोड़ने का काम राजनीति पर नहीं छोड़ा जा सकता। क्या इसका आशय यह भी है कि राजनीति विभिन्न समुदायों  को जोड़ने की जगह तोड़ने का काम करती है?  इसलिए वह काम, यानी लोगों को क़रीब लाने का किसी और को करना चाहिए? किसको? क्या वह काम संघ कर रहा है या उसे करना चाहिए? और यह उन्होंने क्यों कहा होगा?