ऐश्वर्या रेड्डी की आत्महत्या के बाद शुरू हुई बहस, कितनी ही यंत्रणादायक हो, क्षणिक होकर न रह जाए, यह आशा की जानी चाहिए। और यह कि वह सतही भर भी न हो। तेलंगाना से दिल्ली के प्रतिष्ठित लेडी श्रीराम कॉलेज में पढ़ने आई ऐश्वर्या को कॉलेज से दूर अपने घर में आत्महत्या ही उस विषम स्थिति से निकलने का रास्ता मालूम पड़ा जो शिक्षा ने उसके लिए पैदा कर दी थी। आत्महत्या के पहले ऐश्वर्या ने लिखा कि वह बिना शिक्षा के जीवित नहीं रह सकती लेकिन शिक्षा उसके परिवार के लिए, उसके लिए एक बोझ बन गई थी। 19 साल की उस किशोरी के इस बोझ को ढोते जाना और मुमकिन नहीं रह गया था। इसलिए उसने आत्महत्या का निर्णय किया।
अजीब शिक्षा व्यवस्था: निवेश मनुष्य में नहीं, प्रतिभा में
- वक़्त-बेवक़्त
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- 23 Nov, 2020

कोरोना महामारी ने इस समाज की सीवन उधेड़ दी है। लेकिन हम शायद ही इस पर ठहर कर विचार करने का धीरज दिखलाएँगे। छात्र का अर्थ हमारे लिए एक धड़कती हुई ज़िंदगी नहीं है जिसे बचाकर रखना ही किसी के लिए भी सबसे बड़ा दायित्व होना चाहिए। लेकिन क्या ऐसा लेडी श्रीराम कॉलेज की एक छात्रा ऐश्वर्या रेड्डी के मामले में हुआ जिसने आत्महत्या कर ली? या दूसरे विद्यार्थियों के बारे में ऐसा दायित्यबोध है?