“इसमें कोई शक नहीं कि शल्य चिकित्सा का ज्ञान भारत से ही पूरी दुनिया में गया था। भगवान गणेश वे पहले व्यक्ति थे जिनकी प्लास्टिक सर्जरी की गई थी। यह भी इत्तेफ़ाक़ नहीं कि वे मूषक की सवारी करते हैं।” हैं या थे?
राष्ट्रवादी ज्ञान के मामले में तार्किकता की तलाश व्यर्थ और अनावश्यक
- वक़्त-बेवक़्त
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- 18 Jul, 2022

मूर्खता का निरंतर, चौतरफ़ा प्रचार, प्रसार उसको समाज का स्वभाव बनाने के लिए आवश्यक होता है। वह जीवन के एक ही क्षेत्र में करने से नहीं होगा। नक्षत्र विज्ञान हो या जीव विज्ञान या इतिहास या भौतिक शास्त्र, हर इलाक़े में ग़लतबयानी, झूठ और मूर्खता को स्थापित करना होता है।
ऐसी बात अगर आज का प्रधानमंत्री बोले तो लोग उसे जनतांत्रिक जुमला कहते हैं। आख़िर उन्हें एक मूर्ख जनता का निर्माण जो करना है। यह जनतंत्र में राजनीति का अधिकार है। नेता को जनता में मूर्खता का प्रचार करने का संसदीय अधिकार है।
जैसे मनुष्य देवता को अपनी छवि में गढ़ते हैं, वैसे ही नेता अपनी देवता, यानी जनता को अपनी छवि में गढ़ने की कोशिश करते हैं। दोनों को एक दूसरे के योग्य साबित करना पड़ता है। कुछ वक्त बाद तय करना मुश्किल हो जाता है कि मूर्ख जनता ने अपना नेता बनाया या नेता ने अपनी जनता का सृजन किया। फिर जो इस मूर्खता को मूर्खता कहता है, वह गणशत्रु हो उठता है। जनता उसके खून की प्यासी हो उठती है।