हिंदी फिर खबर में है। इस बार धमकी की तरह। एक तरफ़ तो अंग्रेज़ी ने हिंदी की एक रचना को अपना बनाकर अपना दायरा बड़ा किया दूसरी तरफ़ एक हिंदी वाले ने धमकी दी कि जो हिंदी से प्रेम नहीं करते, उन्हें भारत छोड़ देना होगा।
क्या हिंदी अब धमकी है?
- वक़्त-बेवक़्त
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- 2 May, 2022

हिन्दी वालों या प्रायः उत्तर भारत, उसमें भी उत्तर प्रदेश वालों को इस भ्रम से बाहर निकल आने की ज़रूरत है कि भारत पर पहला अधिकार उनका है या वे ही भारत की मुख्य धारा का निर्माण करते हैं। हिंदी की प्रधानता के दावे के पीछे सिर्फ संख्याबल का तर्क है।
प्रेम करने का मतलब हिंदी बोलना, हिंदी जानना या हिंदी वालों का गुलाम होना? जिन्होंने ये कहा वे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ या भारतीय जनता पार्टी के नहीं। निषाद पार्टी के नेता हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री भी हैं, इससे मालूम होता है कि हिंदीवाद की बीमारी कहीं व्यापक है। यह भी कहा जा सकता है कि जो हिंदी-हिंदू-हिंदुस्तान का नारा नहीं लगाते वे भी कम से कम हिंदी-हिंदुस्तान में तो यकीन करते ही हैं।