राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान परिषद्(एन सी आर टी) के पाठ्यपुस्तक निर्माण से जुड़े समूह की कुछ सदस्यों ने स्कूली किताबों में बड़े पैमाने पर किए गए संपादन का बचाव किया है।संपादन का अर्थ है,विभिन्न विषयों की पुस्तकों से ढेर सारे अंशों को हटाना।पहले तर्क यह दिया गया कि कोरोना महामारी के कारण छात्रों पर पूरी पूरी किताबों को पढ़ने का समय नहीं था, इसलिए ऐसे अंशों को हटाया गया जिनके बिना भी उस विषय की समझ आसानी से बनाई जा सकती थी। कोई विषय अगर आगे की कक्षा में पढ़ाया जा रहा है तो पीछे की कक्षा की किताब से उसे हटाया जा सकता है। इसी तर्क के सहारे दसवीं कक्षा के पहले डार्विन के विकासवाद के सिद्धांत की चर्चा हटा दी गई है। यह उचित प्रतीत होता है क्योंकि 11वीं और 12वीं की प्राणिशास्त्र की किताबों में उसका ज़िक्र है।