वर्षांत के विश्राम के बाद ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के पथिक फिर चल पड़ेंगे। अब तक के आखिरी पड़ाव दिल्ली से आगे कश्मीर की तरफ। साढ़े तीन महीने पहले जब राहुल गाँधी के नेतृत्व में यात्रा शुरू हुई थी तो इसे उपहास, विस्मय, तिरस्कार के साथ देखा गया। बड़े, व्यापक पहुँचवाले मीडिया के मंचों ने इसकी उपेक्षा की। धीरे-धीरे, चलते चलते इस यात्रा ने उनका भी ध्यान खींचना शुरू किया जो इस पर कोई चर्चा नहीं करना चाहते थे। लेकिन इस समय भी बात राहुल गाँधी तक सीमित रखने की कोशिश की गई।