“मेरा बच्चा कहता है कि अब वापस हिंदुओं के बीच नहीं जाना,” तनाव से तमतमाते चेहरे वाली उस महिला ने कहा। मैंने पूछा, बच्चा कहाँ है। वह वहीं था। थोड़ा शर्माता हुआ। और भी बच्चे थे। “मैं भी हिंदू हूँ,” मेरा कहने को जी चाहा। कह नहीं सका।  उससे पूछा, क्यों। उसने ‘जय श्री राम’ के नारे के साथ तिलक लगाए हुए, भगवा गमछा डाले गुंडों की भीड़ अपनी गली में देखी थी। उनके दरवाजों पर डंडे बजाती हुई, गालियाँ देती हुई। पीड़ित अपनी छतों पर थे। ये दंगाई मुसलमानों को ख़त्म कर देने की धमकी दे रहे थे।