इतिहास के प्रेतों को जगाया जा रहा है। औरंगज़ेब आलमगीर को तो सोने ही नहीं दिया गया है। भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बार-बार उसे जंग के मैदान में खींच  लाते हैं। जब वह सत्ता के बाहर थे तब भी और अब जब वह सत्ता में हैं तब भी उन्हें औरंगज़ेब चाहिए। कितनी बार पिछले एक-दो महीने में उसे मैदान में उतारा गया है, इसकी गिनती मुश्किल है। उसकी मिट्टी उसके वतन की ख़ाक बन गई है लेकिन भाजपा और संघ उसे बार-बार ज़िंदा करते हैं। हर बार उसपर वार करने के लिए।