14 फ़रवरी 2024 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, दुबई (यूएई) गये थे। उन्हें ‘वर्ल्ड गवर्नमेंट समिट’ में हिस्सा लेने के लिए सम्मानित अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। यह समिट प्रतिवर्ष दुबई में ही आयोजित की जाती है। पिछले कुछ वर्षों में यह एक ऐसे मंच के रूप में उभरा है जो दुनिया भर की सरकारों के भविष्य की चुनौतियों और इन चुनौतियों के अनुभव को साझा करता है। इस साल इस सम्मेलन की थीम थी- ‘शेपिंग द फ्यूचर गवर्नमेंट्स’ अर्थात् भविष्य की सरकारों को आकार देना। पीएम मोदी की इस यात्रा के दौरान अरब प्रायद्वीप के पूर्वी हिस्से में स्थित यूएई की राजधानी, आबूधाबी में 27 एकड़ भूमि पर 700 करोड़ रुपये की लागत से नागर शैली में बनाए गए  पश्चिम एशिया के सबसे बड़े मंदिर का उद्घाटन भी किया गया। इस कार्यक्रम के दौरान यूएई के ‘सहिष्णुता मंत्री’ मंदिर में उपस्थित थे। यूएई एक ऐसा देश है जो 7 अमीरातों से मिलकर बना है। यह देश लोकतंत्र नहीं बल्कि एक ‘निर्वाचित राजतंत्र’ है जिसे ‘निरंकुश संघीय राजतंत्र’ भी कहा जाता है। यहाँ नागरिक अधिकार, राजनैतिक अधिकार और अन्य स्वतंत्रताएँ लगभग विलुप्तप्राय हैं। स्थिति यहाँ तक है कि फ्रीडम हाउस की प्रतिष्ठित सालाना रिपोर्ट ‘फ्रीडम इन द वर्ल्ड’ में यूएई को ‘स्वतंत्र नहीं’ (नॉट फ्री) का दर्जा दिया गया है।