नीति आयोग ने 2020 में ‘वर्ल्ड फ़ूड प्रोग्राम’ के साथ मिलकर एक रिपोर्ट जारी की, जिसका शीर्षक था “टेक होम राशन-गुड प्रैक्टिसेस अक्रॉस द स्टेट्स एंड यूटीज”।
एमपी: बच्चों के निवाले में डकैती तो कुपोषण कैसे कम होगा?
- विमर्श
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- 29 Mar, 2025

केंद्र सरकार के जून 2024 में जारी कुपोषण ट्रैकर से पता चलता है कि मध्यप्रदेश की आंगनबाड़ियों में 40% बच्चे पूरी तरह कुपोषित हैं और 27% बच्चे अर्द्धकुपोषित! प्रदेश में 15 से 19 वर्ष की 58% लड़कियां एनीमिया से पीड़ित हैं। आख़िर ऐसे हालात क्यों हैं?
इस रिपोर्ट का उद्देश्य यह बताना था कि सरकार द्वारा शुरू की गई ‘टेक होम राशन’ स्कीम देश के ज़्यादातर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में बड़ा अच्छा प्रदर्शन कर रही है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि सरकार ने दूरदराज के इलाक़ों तक पहुँचने के लिए नवाचारी मॉडल अपनाया है। साथ ही इसमें यह भी बताया गया कि सरकार ने जिस तरह के उत्पादन संबंधी, संरचना, वितरण, लेबलिंग, पैकेजिंग, निगरानी, गुणवत्ता नियंत्रण, और सामाजिक एवं व्यावहारिक मानदंडों में बदलाव किया है वह बहुत ही सराहनीय है। नीति आयोग की रिपोर्ट में इस बात की भी ख़ूब तारीफ़ें की गई हैं कि जन भागीदारी के माध्यम से स्थानीय सरकारी संरचनाओं जैसे- आंगनबाड़ियों आदि का बहुत सुंदर तरीक़े से इस्तेमाल किया जा रहा है।
लेकिन, लगभग इसी समय जब नीति आयोग सरकार की तारीफ़ों के पुल बाँध रहा था तब एक प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान ने मध्य प्रदेश में इस योजना को लेकर बड़ा खुलासा किया।